(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
निवेश के वक्त टैक्स का भी रखें ध्यान, इन 4 जरियों से बचेगा 1 लाख से अधिक टैक्स
टैक्सपेयर्स टैक्स बचाने के लिए सबसे ज्यादा इनकम टैक्स के सेक्शन 80 C, 80D, 80CCD (1B) और 24 (b) का इस्तेमाल करते हैं.
टैक्स रिटर्न भरने की तारीखों का ऐलान होते ही टैक्स बचाने की चिंता सताने लगती है. टैक्सपेयर्स टैक्स बचाने के लिए सबसे ज्यादा इनकम टैक्स के सेक्शन 80 C,80D,80CCD (1B) और 24 (b) का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि हर सेक्शन के तहत सरकार ने निवेश की सीमा तय कर दी है. लेकिन इन सेक्शन के तहत निवेश कर आप एक लाख रुपये से अधिक तक का टैक्स बचा सकते हैं.
80C के तहत टैक्स बचत
टैक्स बचाने का सबसे लोकप्रिय माध्यम इनकम टैक्स के सेक्शन 80 C के तहत किए जाने वाले निवेश हैं. इसके तहत छूट पाने कि लिए आप कुछ इंस्ट्रूमेंट्स में डेढ़ लाख तक का निवेश कर सकते हैं. इसके तहत लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS,पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी PPF, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट, पांच साल का नोटिफाइड टैक्स-सेविंग बैंक डिपोजिट, डाकघर की पांच साल की डिपोजिट स्कीम, सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम, सुकन्या समृद्धि, ईपीएफ आदि में निवेश आते हैं. लेकिन यह याद रखना चाहिए इन सभी में निवेश की सीमा डेढ़ लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.
80CCE के तहत टैक्स बचत
80CCE के तहत 80C, 80CCC (इंश्योरेंस कंपनियों के पेंशन प्लान) और 80CCD (1) (एनपीएस में निवेश में लागू) के तहत भी निवेश की सीमा डेढ़ लाख से अधिक नहीं हो सकती है.दरअसल 80 C के तहत निवेश न सिर्फ आपके टैक्स बोझ को कम करता है बल्कि यह आपके लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्य के लिए निवेश में भी मदद करता है.
80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में किए गए निवेश पर इनकम टैक्स कटौती होती है. इसके तहत अधिकतम 25,000 रुपये तक का डिडक्शन का फायदा मिलता है. इसी तरह 24 (B)आपको होम लोन के मद में दिए गए ईएमआई के आधार पर टैक्स छूट दिलाता है. निवेशकों को अपने लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्य के लिए ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स पर निवेश को प्राथमिकता देना चाहिए, जिससे उन्हें टैक्स में भी राहत मिल सके.