मुंबई: भारत ने बीते वित्त वष की चौथी जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.1 प्रतिशत के बराबर या 60 करोड़ डॉलर का चालू खाते का अधिशेष दर्ज किया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को यह जानकारी दी. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में भारत ने जीडीपी के 0.7 प्रतिशत या 4.6 अरब डॉलर का चालू खाते का घाटा (कैड) दर्ज किया था.


पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में चालू खाते का घाटा कम होकर जीडीपी के 0.9 प्रतिशत इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में चालू खाते में जीडीपी के 2.1 प्रतिशत के बराबर घाटा दर्ज किया गया था. मार्च तिमाही और पूरे वित्त वर्ष में चालू खाते की स्थित में सुधार की प्रमुख वजह से व्यापार घाटा कम होना है.


चालू खाता किसी अवधि विशेष में वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात तथा विदेश निवेशकों को किए गए भुगतान तथा उनकी ओर से देश में आए धन की शुद्ध स्थिति को बताता है. यह शेष जगत के साथ देश के कारोबार की स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है.


केंद्रीय बैंक ने कहा है कि मार्च तिमाही में चालू खाते में अधिशेष की प्रमुख वजह व्यापार घाटा है जो कम होकर 35 अरब डॉलर रहा. इसके अलावा शुद्ध अदृश्य प्राप्तियां भी 35.6 अरब डॉलर रहीं.


मार्च तिमाही में सेवा-व्यापार से शुद्ध प्राप्तियां बढ़कर 22 अरब डॉलर पर पहुंच गईं, जो एक साल पहले समान अवधि में 21.3 अरब डॉलर रही थीं. रिजर्व बैंक ने कहा कि कंप्यूटर और यात्रा सेवाओं से शुद्ध आमदनी बढ़ने से इसमें इजाफा हुआ.


इस दौरान निजी स्थानांतरण प्राप्तियां जिसमें मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा भेजा जाने वाला धन शामिल है, 14.8 प्रतिशत बढ़कर 20.6 अरब डॉलर पर पहुंच गईं. इस दौरान प्राथमिक आय खाते से शुद्ध भुगतान घटकर 4.8 अरब डॉलर रह गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.9 अरब डॉलर था.


मार्च तिमाही में शुद्ध प्रत्येक विदेशी निवेश दोगुना होकर 12 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो एक साल पहले 6.4 अरब डॉलर था. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश इस दौरान 13.7 अरब डॉलर घट गया, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 9.4 अरब डॉलर बढ़ा था.