पांच सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय पहली अप्रैल से प्रभावी
नई दिल्लीः भारतीय स्टेट बैंक के साथ उसके पांच सहयोगी बैंकों का विलय पहली अप्रैल से प्रभावी होगा. इन पांच सहयोगी बैंको में स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ मैसूर शामिल है. विलय के बाद उम्मीद है कि भारतीय स्टेट बैंक दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल हो जाएगा.
विलय को लेकर केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. ये अधिसूचना केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के बाद जारी की गयी है. इससे पहले पांचों सहयोगी बैंकों के निदेशक बोर्ड ने विलय को मंजूरी दे दी थी. सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि विलय के चलते सहयोगी बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों के हितों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. फिलहाल, इस बारे में अधिसूचना में कहा गया है कि सहयोगी बैंकों के तमाम स्थायी औऱ नियमित अधिकारियों और कर्मचारियों को भारतीय स्टेट बैंक की ओर से नौकरी का प्रस्ताव यानी विकल्प पत्र दिया जाएगा. अगर अधिकारी और कर्मचारी इस पर 15 दिनों के भीतर इस पर कोई जवाब नहीं देते हैं तो मान लिया जाएगा कि वो नयी व्यवस्था में काम करना जारी रखना चाहते हैं.
पांचों सहयोगी बैंको को मिलाए जाने के बाद एकीकृत भारतीय स्टेट बैंक की
- जमा और कर्ज के बाजार में करीब एक चौथाई हिस्सेदारी होगी.
- कुल कारोबार 35 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगा
- एसबीआई के कर्मचारियों की संख्या 35-40 फीसदी बढ़ेगी
- एसबीआई के एटीएम की संख्या 59 हजार के पार चली जाएगी
- जबकि एसबीआई की शाखाओं की संख्या 22 हजार के पार चली जाएगी
करीब साढ़े 16 हजार शाखाओं के साथ भारतीय स्टेट बैंक भले ही देश का सबसे बड़ा बैंक हो, लेकिन विश्व स्तर पर 50 बड़े बैंकों में इसे कोई जगह नहीं मिली है. विश्व स्तर पर इसकी ताजा रैकिंग 67 है. सरकार की कोशिश है कि देश में बैंकों की संख्या कम हो, लेकिन दुनिया के चुनिंदा बैंकों में किसी भारतीय बैंकों को जरूर जगह मिलनी चाहिए. हालांकि विलय के फैसले से से कर्मचारी यूनियनों में नाराजगी हैं. इस मामले में उन्होंने अगले हफ्ते हड़ताल की चेतावनी दी है. लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो इससे विलय की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. साथ ही कर्मचारियों और अधिकारियों को हर संभव संतुष्ट करने की कोशिश होगी.