नई दिल्लीः करीब 6 साल बाद भारतीय स्टेट बैंक ने बचत जमा यानी सेविंग्स बैंक (एसबी) अकाउंट पर ब्याज दर आधी फीसदी कम कर दी है. इसका असर उन खातों पर पड़ेगा जहां बैलेंश एक करोड़ रुपये से कम है. बैंक के पास करीब 9 लाख सेविंग्स बैंक अकाउंट है जिसमें से 90 फीसदी में बैलेंश एक करोड़ रुपये से कम है.


इसी के साथ देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने देश में पहली बार एसबी एकाउंट के लिए कम से कम दरों की दो स्तरीय व्यवस्था लागू कर दी है. पहले स्तर में वो लोग आएंगे जिनके एसबी अकाउंट में बैलेंश एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा है और यहां पर ब्याज की दर पहले की ही तरह 4 फीसदी होगी. दूसरे स्तर मे उन खातों को शामिल किया गया है जिनका बैलैंश एक करोड़ रुपये से कम है और यहां पर ब्याज की दर चार फीसदी के बजाए साढ़े तीन फीसदी होगी. ब्याज दर में फेरबदल तत्काल प्रभावी से लागू होगा.


बचत खाते पर ब्याज दर में कमी को लेकर भारतीय स्टेट बैंक ने कई कारण बताए हैं. मसलन,




  • कर्ज पर ब्याज दर तय करने के आधार, एमसीएलआर (Marginal Cost of Lending Rate) में पहली जनवरी को 90 बेसिस प्वाइंट्स (100 बेसिस प्वाइंटस = 1 फीसदी) की कमी की. मतलब ब्याज से कमाई में कमी हुई.

  • नोटबंदी की वजह से नवंबर-दिसंबर, 2016 के दौरान करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये से पुराने नोट बैंक में जमा हुए. इससे बैंक में नकदी बढ़ी, जिससे सस्ते पर कर्ज देना संभव हो सका.

  • महंगाई दर में कमी आयी है. वास्तविक ब्याज दर घटी है और आगे ब्याज दर में और कमी के आसार हैं.


अब चूंकि कर्ज पर ब्याज से कमाई कम हो रही है, ऐसे में बैंक के पास दो विकल्प थे. एक, एफडी पर ब्याज दर घटाए औऱ दो, एसबी अकाउंट पर ब्याज दर में कमी करें. इन विकल्प को नहीं अपनाने की सूरत में बैंक का घाटा बढ़ता. दूसरी ओर एफडी पर ब्याज दर लगातार कम हो रही है, इसीलिए बैंक ने एसबी अकाउंट पर ब्याज दर घटाना बेहतर समझा. बैंक के प्रबंध निदेशक रजनीश कुमार कहते हैं कि एसबी अकाउंट पर ब्याज दर घटाने से एमसीएलआऱ को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने में मदद मिलेगी. इससे आम लोगों के साथ-साथ छोटे कारोबारियों, खेती बारी और अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए कर्ज पर ब्याज दर को कम रखन में मदद मिलेगी.


बैंक जमा


बैंकों में जमा को चार वर्गों में बांटा जा सकता है




  • फिक्स्ड डिप़ॉजिट यानी एफ डी. इस पर ब्याज दर का आंकलन बैंक खुद करते है. पिछले कुछ समय से लगातार इन पर ब्याज की दर घट रही है. 2015 में जहां इन पर दर 8 फीसदी या उससे ज्यादा थी, वो 2016 में घटकर 7-8 फीसदी और 2017 में सवा छह से सात फीसदी के करीब आ गयी.

  • रेकरिंग डिपॉजिट यानी आरडी. इस पर ब्याज दर एफडी के समान ही है.

  • करंट अकाउंटः इस पर ब्याज नहीं मिलता.

  • सेविंग्स बैंक अकाउंट. गौर करने की बात ये है कि 25 अक्टूबर 2011 से बचत खाते पर ब्याज दर को नियंत्रण मुक्त कर दिया गया. दूसरे शब्दों में कहें तो बैंक अपनी स्वेच्छा से ब्याज दर तय कर सकते हैं. लेकिन यहां पर दो शर्त रखी गयी1. 1 लाख रुपये से नीचे की सभी जमा पर एकसमान ब्याज देना होगा

    2. 1 लाख रुपये से ऊपर की जमा पर बैंक अपनी मर्जी से अलग ब्याज दे सकते हैं.

    इसके पहले 3 मई 2011 को बचत खाते पर ब्याज दर साढ़े तीन फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी की गयी थी. बाद में भले ही ब्याज दर को नियंत्रण मुक्त कर दिया गया, फिर भी बैंकों ने चार फीसदी के कम से कम ब्याज दर को बनाए रखा.


अब स्टेट बैंक ने 1 करोड़ से नीचे बैलेंस रखने वालों के लिए ब्याज की दर घटाकर साढ़े तीन फीसदी कर दी है.


एसबीआई का ये कदम ऐसे समय में आया है जब रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति कर्ज नीति की समीक्षा करने वाली है. समीक्षा के नतीजो का ऐलान 2 अगस्त को होगा. उम्मीद की जा रही है कि इस समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट (वो ब्याज दर जिसपर रिजर्व बैंक बहुत ही थोड़े समय के लिए बैंकों को कर्ज देता है) में कमी करेगा. अभी ये दर सवा छह फीसदी है और अनुमान है कि कम से कम इसमें चौथाई फीसदी की कमी होगी.


बहरहाल, एसबीआई के फैसले से आम लोगों को भले ही नुकसान हुआ है, लेकिन शेयर बाजार के निवेशकों को फायदा ही हुआ. सोमवार को बैंक के शेयर साढ़े चार फीसदी से ज्यादा बढ़कर 312.55 रुपये पर बंद हुए. उम्मीद है कि दूसरे बैंक भी स्टेट बैंक के नक्शे कदम पर चलेंगे. इसी वजह से बाकी बैंकिंग शेयरों में भी तेजी आयी.


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