घरेलू और वैश्विक कारणों के चलते आने वाले महीने में मुद्रास्फीति रह सकती है ऊंची- SBI रिपोर्ट
केंद्रीय बैंक ने चार जून को घोषित दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को चार प्रतिशत पर कायम रखा था. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक चार से छह अगस्त तक होनी है.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि मई में खुदरा मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के बावजूद आरबीआई अगस्त में मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान यथास्थिति को बनाए रखेगा. एसबीआई की शोध रिपोर्ट इकोरैप के मुताबिक घरेलू और वैश्विक कारकों के चलते मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में ऊंची बनी रह सकती है.
शोध रिपोर्ट में बुधवार को कहा गया, ‘‘हमें अगस्त में यथास्थिति की उम्मीद हैं. हमारा मानना है कि आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) अभी भी अगस्त की नीति समीक्षा में नियामक और विकासात्मक उपायों तथा मौद्रिक नीति पर व्यावहारिक नजरिए बनाए रखने की कोशिश करेगा.’’
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि नुकसान हो चुका है, लेकिन आरबीआई अभी भी अगस्त के नीति बयान में मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर दृढ़ संदेश दे सकता है.
गौरतलब है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में छह महीने के उच्च स्तर 6.3 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो अप्रैल में 4.3 प्रतिशत थी. मुद्रास्फीति आरबीआई के तय दायरे 2-6 प्रतिशत की सीमा को पार कर गई है.
केंद्रीय बैंक ने चार जून को घोषित दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को चार प्रतिशत पर कायम रखा था. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक चार से छह अगस्त तक होनी है.
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