SBI Research: एसबीआई ने कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे के रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि देश में शहरी और ग्रामीण इलाकों के बीच खाई कम हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में ग्रामीण इलाकों में गरीबी घटकर 7.2 फीसदी पर आ गई है जो 2011-12 में 25.7 फीसदी रही थी. जबकि शहरी इलाकों में गरीबी घटकर 4.6 फीसदी रही है जो 2011-12 में 13.7 फीसदी रही थी. एसबीआई के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में गरीबी घटने के चलते इस बात के आसार हैं कि देश में गरीबी दर घटकर 4.5 से 5 फीसदी पर आ चुकी है. 


सरकार की योजनाओं का प्रभाव 


एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट ने कहा कि भारत सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का जमीनी स्तर पर बड़ा प्रभाव देखने को मिल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक  नए घरेलू उपभोग व्यय को कंज्यूमर प्राइस इंफ्लेशन में शामिल करने से वित्त वर्ष 2023-24 में देश का रियल जीडीपी 7.5 फीसदी के लेवल तक रह सकता है.  एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष के नेतृत्व में तैयार किए रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक के बाद जारी किए गए घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण ने शहरों और ग्रामीण घरेलू उपभोग के तौर तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. शहरी ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति खपत और एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी देखने को मिली है. 


कम हुई गरीबी 


एसबीआई ने अपने रिपोर्ट में बताया कि कोरोना महामारी के बाद ग्रामीण इलाकों में गरीबी में 2018-19 के बाद 440 प्वाइंट की कमी आई है जबकि शहरी गरीबी में 170 बेसिस प्वाइंट की कमी आई है. इससे स्पष्ट है कि सरकार की योजनाओं का ग्रामीण इलाकों में लोगों की जीविका पर बड़ा प्रभाव पड़ा है. ग्रामीण इलाकों में गरीबी 7.2 फीसदी पर आ गया है जबकि शहरी गरीबी घटकर 4.6 फीसदी पर आ गई है जो 2011-12 में 25.7 फीसदी और 13.7 फीसदी हुआ करता था. एसबीआई के रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक नए घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण डेटा इस ओर इशारा कर रहा है कि असामनता की खाई कम हुई है. शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में औसतन एकसमान रूप से खपत बढ़ी है. ग्रामीण और शहरी इलाकों में खपत में असमानता भी घटी है. 


इन राज्यों की बदल रही तस्वीर 


एसबीआई रिसर्च के मुताबिक 2011-12 में ग्रामीण इलाकों में 816 रुपये से कम आय और शहरी इलाकों में 1000 रुपये से कम आय वालों को गरीबी रेखा के नीचे माना गया था. लेकिन एनएसएसओ के नए डेटा के मुताबिक नई गरीबी रेखा या उपभोग का मूल स्तर ग्रामीण इलाकों में बढ़कर 1622 रुपये और शहरी इलाकों में बढ़कर 1922 रुपये हो गया है.  रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे राज्य जिन्हें पिछड़ा समझा जाता था, जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश वहां तेजी के साथ सुधार हुआ है. 


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