भारतीय स्टेट बैंक अनिल अंबानी से अपने 1200 करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) पहुंच गया है. एसबीआई ने दिवालिया कानून के तहत पर्सनल गारंटी क्लॉज के मुताबिक इस कर्ज की वसूली के लिए NCLT पहुंचा है. रिलायंस कम्यूनिकेशन्स और रिलायंस इन्फ्राटेल को दिए गए एसबीआई के लोन के लिए अनिल अंबानी ने यह पर्सनल गारंटी दी थी. बीएसवी प्रकाश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अनिल अंबानी को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया गया है.


 प्रवक्ता ने कहा, लोन कंपनी को अनिल अंबानी को नहीं 


अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने कहा है कि यह कर्ज रिलायंस कम्यूनिकेशंस और रिलायंस इन्फ्राटेल को दिया गया था. अनिल अंबानी ने एसबीआई से कोई पर्सनल लोन नहीं लिया है. दिवालिया कानून के तहत रिलायंस कम्यूनिकेशंस और रिलायंस इन्फ्राटेल के रेज्यूलेशन प्लान को उसके कर्जदारों ने मंजूरी दे दी है. अब इसे NCLT की मंजूरी का इंतजार है. बयान में कहा गया है कि अंबानी जल्द ही जवाब दाखिल करेंगे. एनसीएलटी ने याचिकादाता को कोई रियायत नहीं दी है.


अनिल अंबानी लगातार गहरे संकट में फंसते जा रहे हैं. उनकी एक और कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अपना 3,315 करोड़ का कर्ज चुकाने में नाकाम रही है. इसके साथ ही रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की प्रमोटेड कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड को कर्ज देने वालों ने इसे बेचने की तैयारी शुरू कर दी है. इसमें दिलचस्पी रखने वाली कंपनियों से प्रस्ताव मंगाए गए हैं.


33 कंपनियों से लिया था लोन,चुकाना हो रहा मुश्किल


रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की वार्षिक रिपोर्ट ( 2019-20) में कहा गया है यह अपना 3315 करोड़ रुपये का लोन चुकाने में डिफॉल्ट कर चुकी है. कंपनी मूलधन और ब्याज दोनों चुकाने में नाकाम रही है. कंपनी 33 अलग-अलग कर्जदाताओं और नॉन कन्वर्टेबल डिबेंचर सीरीज (NCD) सीरीज का पैसा चुकाने में नाकाम रही है.इस बीच, समूह की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग को आईबीसी के तहत बेचने की तैयारी शुरू हो गई है. इस पर 43,587 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसकी वसूली के लिए इसे बेचने की प्रक्रिया शुरू हुई है. इसकी प्रमोटर कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ही है.