दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बैनः जानें पटाखा कारोबार को होने वाले नुकसान का आंकड़ा
पटाखा बिक्री पर बैन से आतिशबाजी कारोबार के व्यापारियों को भारी नुकसान होने का अंदेशा है. हर साल 6000 से 6500 करोड़ रुपये का पटाखा कारोबार होता है जिनमें से 90 फीसदी बिजनेस दिवाली पर होता है. दिवाली पर ही पटाखे बेचने की अनुमति नहीं होगी तो उनको जबर्दस्त नुकसान होगा.
नई दिल्लीः देश की राजधानी दिल्ली और करीबी एनसीआर इलाकों में इस बार दिवाली का त्योहार बिना पटाखों के मनाए जाने की संभावना है. यहां पटाखा बिक्री बैन पर पिछले साल लगाई रोक सुप्रीम कोर्ट ने आज बहाल रखी है. पुलिस की ओर से पटाखा कारोबारियों को दिए गए स्थायी-अस्थायी दोनों ही लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. इस साल 12 सितंबर को इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था जिसे बहाल रखते हुए एक नवंबर के बाद ही पटाखे बेचने की मंजूरी दी गई है. 12 सितंबर 2017 को कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री को शर्तों के साथ इजाजत दी थी.
पटाखा कारोबारियों में भारी निराशा दिल्ली-एनसीआर में पटाखा बिक्री पर बैन से आतिशबाजी कारोबार से जुड़े व्यापारियों को भारी नुकसान होने का अंदेशा है. देश में हर साल 6000 से 6500 करोड़ रुपये का पटाखा कारोबार होता है जिनमें से 90 फीसदी बिजनेस दिवाली पर होता है. दिवाली पर ही पटाखे बेचने की अनुमति नहीं होगी तो उनको जबर्दस्त नुकसान होगा. दिवाली से ठीक 10 दिन पहले इस आदेश से पटाखा कारोबारियों के लिए ये बेहद निराशाजनक खबर है जो इस त्योहार के मौके पर अच्छी बिक्री की उम्मीद लगाए बैठे थे. कई पटाखा विक्रेताओं ने सवाल भी उठाया है कि अगर बैन ही लगाना था तो उन्हें लाइसेंस दिए क्यों गए थे. अब उनकी दुकानें पटाखों से भरी हैं पर वो उसे बेच नहीं सकते, उनके नुकसान की भरपाई कैसे होगी?
पटाखे बिक्री पर बैन से दिल्ली-एनसीआर में करीब 1000 करोड़ रुपये के बिजनेस पर असर
दिवाली पर दिल्ली में करीब 1000 करोड़ रुपये के बिजनेस पर असर देखा जाएगा. अनुमान के मुताबिक दिवाली के मौके पर यहां पटाखों का करीब 1000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. देश के कुल पटाखा कारोबार का 90 फीसदी कारोबार दिवाली पर ही होता है और देश में दिवाली पर कुल पटाखा कारोबार में दिल्ली की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है.
दिल्ली में इस साल पटाखों की अमुमानित एमआरपी (पिछले साल के मुकाबले)- 10 पीस वाला अनार का डिब्बा 150 रुपये (पिछले साल करीब 135 रुपये)
- सादी फुलझड़ी 100 से 110 रुपये (लगभग 10 फीसदी बढ़ी कीमत)
- रंगीन फुलझड़ी का डिब्बा 160 रुपये (पिछले साल करीब 140 रुपये)
- रॉकेट या स्काईशॉट 300 रुपये (पिछले साल करीब 270 रुपये प्रति डिब्बा)
पिछले साल के मुकाबले इस साल दिवाली पर पटाखे 7-10 फीसदी महंगे हैं. हालांकि दिल्ली सरकार इस दिवाली पर पटाखों-आतिशबाजी के खिलाफ अभियान भी चला रही थी जिसके डर से पटाखा कारोबारियों को पटाखों की बिक्री 30-35 फीसदी घटने का अनुमान था. पर अब उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद तो उनकी रहे-सहे कारोबार की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है.
देसी-चीनी पटाखों का कारोबार पटाखा रीटेलर को चीन के पटाखों पर 35-50 फीसदी तक का मार्जिन मिलता है जबकि भारतीय पटाखों पर 30-35 फीसदी का मार्जिन मिलता है. सस्ते चीनी पटाखों पर रोक के बीच लगने के बाद से देसी पटाखों की कीमतें भी बढ़ी हैं. लिहाजा इसके बाद भी इस साल पटाखों की बिक्री 25-30 फीसदी घटने की संभावना जताई जा रही थी.
2015-2017 के बीच चीनी पटाखों का कारोबार- साल 2015 में चीनी पटाखों का कारोबार करीब 900 करोड़ रुपये था
- साल 2016 में चीनी पटाखों का कारोबार करीब 1500 करोड़ रुपये हुआ (40 फीसदी बढ़त) साल 2017 में कोर्ट के बैन का चीनी पटाखों पर असर दिखने की संभावना है जिससे कुल पटाखा कारोबार में चीनी पटाखों के रेश्यो में गिरावट आएगी.