SEBI Crack Down: कोचिंग के नाम पर कर रहे थे शेयर और आईपीओ का धंधा, इस टीचर पर अब चल गया सेबी का डंडा
SEBI Action on Unregistered Advisory: इस मामले में एक टीचर और उसका सहयोगी कोचिंग के नाम पर लोगों से शेयरों और आईपीओ में निवेश करा रहा था और उनसे चार्ज भी वसूल कर रहा था...
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बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए लगाातर निगरानी को सख्त किया है. इसके तहत अनरेगुलेटेड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी को लेकर लगातार कार्रवाई की गई है. एक ताजा मामले में सेबी ने फिर से कार्रवाई की है, जिसमें एक टीचर को कोचिंग की आड़ में इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी सर्विसेज देना भारी पड़ा है.
लौटाने पड़ेंगे 82 लाख रुपये
बाजार नियामक ने स्कूल टीचर और उसके एक सहयोगी के ऊपर कार्रवाई की है. सेबी ने उन्हें अवैध और अनरजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी देने के बदले ली गई 82 लाख रुपये से ज्यादा की फीस लौटाने को कहा है. साथ ही दोनों के ऊपर दो-दो लाख रुपये की पेनल्टी भी लगाई गई है. बाजार नियामक ने उन्हें अगले दो साल के लिए सिक्योरिटी मार्केट से प्रतिबंधित भी कर दिया है.
इन दोनों के ऊपर हुई कार्रवाई
सेबी ने इस संबंध में 5 दिसंबर को एक आदेश जारी किया. आदेश के अनुसार, जिस टीचर के ऊपर कार्रवाई हुई है, उसका नाम चंद्रप्रताप सिंह नरूका है. नरूका सीबीएसई से अफिलिएटेड एक स्कूल में टीचर है. वह उसके अलावा भी कोचिंग भी चलाता था और उसकी आड़ में लोगों को निवेश संबंधी सलाह देकर मोटी फीस वसूल करता था. इस काम में अमरजीत सिंह त्रेहान उसका सहयोगी था. दोनों डब्ल्यू गेन रिसर्च और डेवलपमेंट डॉट कॉम के नाम से निवेश संबंधी सेवाएं देते थे.
इस तरह से पहुंची शिकायत
सेबी को इस मामले में जनवरी 2021 में एक शिकायत मिली. शिकायत करने वाले अरविंद जोशी ने बताया कि नरूका और उसके सहयोगी त्रेहान ने उसे निवेश की सलाह दी, जिसमें उसे भारी घाटा उठाना पड़ा. डब्ल्यू गेन ने 90 हजार रुपये की फीस लेकर निवेश करवाया था, जिसमें जोशी को 4 लाख रुपये का घाटा हुआ. इस नुकसान को आईपीओ अलॉटमेंट से रिकवर कराने का प्रयास किया गया, जिसके लिए फिर से 44,415 रुपये लिए गए. जब जोशी को आईपीओ में शेयर नहीं मिले तो उसने रिफंड की मांग की. त्रेहान ने पैसे लौटाने से मना कर दिया, जिसके बाद मामला सेबी के पास पहुंचा.
3 साल में वसूले 82.32 लाख रुपये
सेबी ने जांच में पाया कि नरूका और त्रेहान ने 3 साल से ज्यादा समय के दौरान अवैध एडवाइजरी के जरिए फीस के रूप में 82,52,620 रुपये कलेक्ट किए. सेबी ने दोनों को कहा है कि अब वे इस पैसे को रिफंड करें. साथ ही उनके ऊपर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जांच के दौरान दोनों ने सेबी को कारेचिंग के नाम पर बरगलाने का भी प्रयास किया था कि उन्होंने कोचिंग में इन्वेस्टमेंट के लिए पैसे लिए थे.
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