SEBI Update: शेयर बाजार के रेग्यूलेटर सेबी ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कुछ कैटगरी के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए खुलासा जरूरतों को बढ़ा दिया है. नए नियम के मुताबिक इन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को स्वामित्व और आर्थिक हितों से जुड़ा ब्योरा देना होगा. सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के पात्रता से जुड़े नियमों में भी बदलाव करने का ऐलान किया है. 


सेबी की नियमों में संशोधन के बारे में जारी नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि , बोर्ड द्वारा तय पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को समय-समय पर स्वामित्व रखने वाले, आर्थिक हित या नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति से संबंध के बारे सूचना या दस्तावेज उपलब्ध कराना होगा. ये सूचनाएं और दस्तावेज सेबी द्वारा तय किए गए तरीके से उपलब्ध कराना होगा. 


मई महीने में सेबी ने हाई रिस्क वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से अतिरिक्त खुलासे यानी ज्यादा जानकारी देने को अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया था. सेबी ने इसे लेकर एक कंसलटेशन पेपर जारी किया था. जिसके मुताबिक  25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की इक्विटी होल्डिंग वाले फॉरेन इंवेस्टर्स को ज्यादा जानकारी देनी ही होगी. इस कंसलटेशन पेपर पर सेबी ने 20 जून 2023 तक प्रतिक्रियाएं मांगी थी. 


सेबी ने कहा था कि कॉरपोरेट समूहों के प्रमोटर या अन्य इंवेस्टर मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग जैसी रेगुलेटरी जरूरतों को दरकिनार करने के लिए एफपीआई रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं. लिस्टेड कंपनियों में जो फंड्स का फ्री फ्लोट देखा जाता है वो एक्चुअल है या नहीं इसका पता लगाना कठिन हो जाता है और ऐसे शेयरों के भाव के साथ छेड़छाड़ की संभावनाएं बढ़ जाती है. 


दरअसल अडानी समूह के स्टॉक्स को लेकर हिंडनबर्ग के रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद से सेबी की आलोचना बढ़ गई थी. जिसके बाद सेबी ने एफपीआई के लिए डिस्क्लोजर नियमों को सख्त करने का फैसला लिया था. 


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