Naked Short Selling: सेबी ने नेकेड शॉर्ट सेलिंग पर लगाया बैन, संस्थागत निवेशकों के डे ट्रेडिंग की इजाजत नहीं
SEBI Update: शॉर्ट सेलिंग शेयर बाजार में ट्रेडिंग का तरीका है. भारत में जनवरी 2023 में शॉर्ट सेलिंग चर्चा में आई थी जब हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के स्टॉक में शॉर्ट सेलिंग की थी.
SEBI Bans Naked Short Selling: भारतीय शेयर बाजार के रेग्यूलेटर सेबी ने शेयर बाजार में नेकेड शॉर्ट सेलिंग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. सेबी ने कहा है कि बाजार में हर कैटगरी के निवेशकों को शॉर्ट-सेलिंग की इजाजत होगी लेकिन नेकेड शॉर्ट-सेलिंग निवेशक नहीं कर सकेंगे. सेबी के कहा कि वायदा कारोबार यानि फ्यूचर-ऑप्शन में जितने भी स्टॉक्स ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हैं उसमें शॉर्ट सेलिंग की इजाजत होगी.
सेबी ने शॉट-सेलिंग को लेकर जारी किए फ्रेमवर्क में कहा, भारतीय सिक्योरिटीज मार्केट में नेकेड शॉर्ट-सेलिंग की इजाजत नहीं होगी. सभी निवेशकों को सिक्योरिटीज के डिलिवरी की बाध्यता को सेटलमेंट के दौरान हर हाल में पूरा करना होगा. वायदा कारोबार में उपलब्ध स्टॉक्स की भी शॉजर्ट-सेलिंग की इजाजत होगी. हालांकि समय समय पर सेबी इसकी समीक्षा करता रहेगा.
सेबी के मुताबिक नए नियमों के तहत संस्थागत निवेशकों को आर्डर के प्लेसमेंट के दौरान ही ये बताना होगा कि ये ट्रांजैक्शन शॉर्ट-सेल है या नहीं. हालांकि रिटेल निवेशक दिन के ट्रेडिंग के खत्म होने के बाद ट्रांजैक्शन वाले दिन ही खुलासा करना होगा. सेबी ने ये भी आदेश दिया है कि संस्थागत निवेशक अब डे ट्रेडिंग नहीं कर सकेंगे.
नेकेड शॉर्ट सेलिंग में शेयर को खरीदे बगैर या फिर ये कंफर्म किए बगैर कि शेयर को भविष्य में खरीदा जाएगा, शेयरों की शॉर्ट सेलिंग की जाती है. भारत में जनवरी 2023 में शॉर्ट सेलिंग चर्चा में आई थी. शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर शेयरों के भाव को अनैतिक तरीके से भगाने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट जारी किया. हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के स्टॉक में शॉर्ट सेलिंग की. जिसके बाद शेयर बाजार में लिस्टेड अडानी समूह की कंपनियों के स्टॉक्स में जोरदार गिरावट देखने को मिली थी.
क्या होती है शॉर्ट सेलिंग?
शॉर्ट सेलिंग शेयर बाजार में ट्रेडिंग का तरीका है. शॉर्ट सेलिंग के तहत कोई भी निवेशक ऊंचे भाव पर शेयर को बेचता है और शेयर के भाव के नीचे गिरने पर उसे वापस खरीद लेता है. जिस ऊंचे भाव पर शेयर बेचा गया और जिस नीचे के भाव पर शेयर खरीदा गया दोनों के बीच का जो अंतर है वो निवेशक का मुनाफा है. निवेशक केवल शेयर खरीदकर ही बाजार में मुनाफा नहीं बनाते हैं बल्कि शेयरों को खरीदे बिना उसे बेचकर भी मुनाफा बना सकते हैं और इसी को शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है.
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