SEBI Warning: छोटी कंपनियां स्टॉक प्राइस और आईपीओ में कर रहीं हेरफेर, सेबी ने किया आगाह
Madhabi Puri Buch: सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि हम किसी भी कार्रवाई से पहले सारे सबूत जुटा रहे हैं, इसके लिए तकनीक की मदद भी ली जा रही है.
Madhabi Puri Buch: इन दिनों मार्केट में छोटी कंपनियों के आईपीओ और स्टॉक ने धूम मचाई हुई है. साल 2024 की शुरुआत से लेकर अब तक एनएसई और बीएसई पर 45 एसएमई आईपीओ मार्केट में दस्तक दे चुके हैं. इनमें से 34 की लिस्टिंग हो गई है. मार्केट पर अच्छा प्रदर्शन करते हुए इनमें से 31 मुनाफा देकर गए हैं. हालांकि, अब सेबी की नजर एसएमई सेगमेंट पर गड़ गई है. सेबी (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने सोमवार को कहा है कि एसएमई सेगमेंट में हेरफेर के संकेत मिले हैं. कई कंपनियां न सिर्फ अपने आईपीओ बल्कि स्टॉक प्राइस में भी हेरफेर की कोशिश कर रही हैं. इनकी धरपकड़ के लिए सेबी अपनी तरफ से सभी जरूरी कदम उठा रहा है.
कार्रवाई करने से पहले पुख्ता सबूत जुटा रहे
माधबी पुरी बुच ने एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स (AMFI) के कार्यक्रम के दौरान कहा कि बाजार में हिस्सा लेने वालों से इस तरह की शिकायतें मिली हैं. बाजार नियामक द्वारा इनकी जांच की जा रही है. एसएमई सेगमेंट (SME segment) में हेरफेर के संकेत मिले हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल हम कार्रवाई करने से पहले पुख्ता सबूत जुटाने में लगे हुए हैं. एक बार पूरी जांच हो जाने के बाद ऐसी गतिविधियों में शामिल कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए सेबी लोगों से मिल रहे इनपुट के साथ ही टेक्नोलॉजी की मदद भी ले रहा है.
मेनबोर्ड कंपनियों जैसी सख्ती नहीं की जा रही
सेबी चेयरपर्सन ने कहा कि बाजार नियामक ने एसएमई सेगमेंट को फलने फूलने का पूरा मौका दिया है. इसीलिए इन पर मेनबोर्ड कंपनियों जैसी सख्ती नहीं की जा रही है. यदि सेबी ने उतनी सख्ती की तो एसएमई को बहुत दिक्कत होगी. उन्हें मेनबोर्ड कंपनियों की तरह नियमों का पालन करना दुश्वार हो जाएगा. मगर, अब इस सहूलियत का फायदा उठाकर कुछ एसएमई गड़बड़ियां कर रही हैं. यह सेबी बर्दाश्त नहीं करेगा.
सेबी ने बढ़ाया नियमों का दायरा
इसे रोकने के लिए सेबी ने एडिशनल सर्विलांस मीजर (ASM) और ग्रेडड सर्विलांस मीजर (GSM) लागू कर दिए हैं. पहले इन्हें एसएमई बोर्ड पर लागू नहीं किया जाता था. माधबी पुरी बुच ने कहा कि इन कंपनियों का मार्केट कैप बहुत छोटा है. इसलिए उनके लिए आईपीओ और ट्रेडिंग लेवल पर हेरफेर करना आसान हो जाता है. इससे निपटने के लिए एसएमई आईपीओ के लिए रिस्क से जुड़े और खुलासे करना जरूरी बनाने पर विचार किया जा रहा है.
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