सेबी ने मल्टीकैप फंड के नियमों में बदलाव किए हैं.  मल्टी कैप फंड के लिए सेबी के एसेट एलोकेशन नियमों के मुताबिक मल्टीकैप फंड को अपने टोटल एसेट का कम से से 75 फीसदी शेयरों में निवेश करना होगा. इसके मुताबिक उन्हें 25-25 फीसदी फंड मल्टी, लार्ज और स्मॉल कैप में लगाना होगा. इससे पहले 65 फीसदी फंड शेयरों में लगाने की अनुमति थी. हालांकि  इसमें यह नहीं कहा गया था कि कितना-कितना हिस्सा, लार्ज, मिडकैप और स्मॉल कैप में लगना है.


लार्ज, मीडियम और स्मॉल कैप में 25-25 फीसदी आवंटन जरूरी 


 सेबी की ओर से शुक्रवार को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि मल्टीकैप फंड्स को लार्ज, मीडियम और स्मॉल कैप वाली कंपनियों के शेयर और उनसे जुड़ी सिक्योरिटीज में हरेक में कम से कम 25 फीसदी निवेश करना होगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे 40,000 करोड़ रुपये बड़ी मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के शेयरों से निकल मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में चली जाएंगी. सेबी ने कहा कि सभी मल्टीकैप फंड को एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की ओर से शेयरों की अगली सूची प्रकाशित होने की तारीख से एक माह के भीतर इन प्रावधानों को फॉलो करना होगा. यह तारीख जनवरी, 2021 है.


फिलहाल 65 फीसदी फंड शेयरों में लगता है


 सेबी ने कहा कि मल्टीकैप फंड्स के निवेश को लार्ज, मिड और स्मॉलकैप कंपनियों में डाइवर्सिफाई करने के उद्देश्य से मल्टीकैप फंड योजना में कुछ संशोधन किया गया है. अभी मल्टीकैप फंड्स को अपनी कुल परिसंपत्तियों का 65 प्रतिशत शेयर और संबंधित सिक्योरिटीज में निवेश करना होता है. इसके अलावा अभी इन फंड के लार्ज, मिड या स्लॉकैप में निवेश को लेकर किसी तरह का अंकुश नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस वजह से ऐसे मल्टीकैप फंड लार्जकैप में ऊंचा आवंटन करते है. शेष निवेश वे मीडियम और स्मॉल मार्केट कैपिटलाइजेशन वाले वाले शेयरों में करते हैं.


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