सेबी ने स्टॉक ब्रोकिंग फर्म कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग पर बैन की पुष्टि कर दी है. कार्वी पर नए ग्राहक बनाने पर रोक लगा दी गई है. साथ ही स्टॉक एक्सचेंजों और डिपोजिटरीज से कंपनी और इसके निदेशकों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा गया है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई ने रेगुलेशन से संबंधित प्रावधानों का पालन न करने से कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग को डिफॉल्टर घोषित कर दिया था.


कार्वी को अपनी संपत्ति बेचने से रोका


एनएसई ने कार्वी को डिफॉल्टर घोषित करने के बाद एक्सचेंज की मेंबरशिप से निलंबित कर दिया था. कार्वी ने नियमन से संबंधित कई प्रावधानों का उल्लंघन किया था. उसके बाद उसके खिलाफ एक्शन लेने की अपील की गई थी. कार्वी को इसके किसी भी संपत्ति को अलग करने से रोक दिया गया है. जब तक निवेशकों के दावे नहीं निपट जाते तब तक वह अपनी कोई भी संपत्ति नहीं बेच सकती.


फंड का दुरुपयोग कर रियल एस्टेट बिजनेस में  पैसा लगाने का आरोप 


कार्वी पर फंड के दुरुपयोग करने का आरोप है. उस पर निवेशकों का पैसा कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग की सहायक कंपनी कार्वी रियल एस्टेट लिमिटेड में लगाने के आरोप हैं. कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के कामकाज पर रोक लगने के बाद कई महीनों से निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है. ऐसे में अब उम्मीद है कि निवेशक NSE के इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड (IPF) में आवेदन करके 25 लाख रुपए तक का निवेश वापस ले सकेंगे.


कार्वी को तब डिफॉल्टर घोषित किया गया था जब सेबी ने एनएसई को इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड का फंड बढ़ाने की मंजूरी दी। सेबी ने एनएसई को IPF का फंड 594 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये करने को कहा था.एक अनुमान के मुताबिक कार्वी ने 1000 करोड़ रुपए पर डिफॉल्ट किया है.


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