(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
SEBI ने जोखिम मुक्त रिटर्न का वादा करने वालों पर कसा शिकंजा, कठिन शब्दों के इस्तेमाल पर भी रोक
SEBI: सेबी ने भ्रामक एड करने वाले और म्यूचुअल फंड को लेकर निश्चित रिटर्न का वादा करने वालों पर शिकंजा कसा है. अब विश्लेषक भ्रामक प्रचार नहीं कर पाएंगे.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने म्यूचुअल फंड को लेकर निवेशकों को निश्चित रिटर्न नहीं करने का निर्देश दिया था. अब इस निर्देश के एक महीने बाद सेबी ने निवेश सलाहकारों और विश्लेषकों के लिए एक विज्ञापन कोड लेकर आया है. सेबी ने ऐसे लोगों पर शिकंजा कसते हुए नई आचार संहिता पेश की है.
नई आचार संहिता के तहत सलाहकारों और विश्लेषकों को निवेशकों को निश्चित और जोखिम मुक्त रिटर्न का वादा करने या गारंटी देने से रोक दिया है. अब ये संस्थाएं अपने को सर्वोत्तम, नंबर वन, टाॅप सलाहकार या विश्लेषक और बाजार में प्रमुख होने का दावा नहीं कर पाएंगे. सेबी ने ये फैसला निवेशकों की सुरक्षा के मद्देनजर उठाया.
सेबी की अनुमति की होगी आवश्यकता
मार्केट के सलाहकारों और संस्थाओं को किसी भी फंड या स्टाॅक पर सलाह देने से पहले सेबी की मंजूरी लेनी होगी. अगर बिना अनुमति के सलाह दी जाती है तो रेगुलेटरी बड़ा एक्शन ले सकती है. सेबी ने इसे लेकर एक सर्कुलर भी जारी किया गया है.
सेबी ने ऐसे विज्ञापन को लेकर क्या कहा
सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा कि कोई भी विज्ञापन सुनिश्चित रिटर्न या न्यूनतम रिटर्न या टारगेट नहीं बता सकता है, जो निवेशकों को यह आभास कराता है कि निवेश सलाह या रिसर्च रिपोर्ट की जोखिम मुक्त है. साथ ही कोई भी एड ये जानकारी नहीं दे सकता है कि कितने तक का रिटर्न आपको मिलेगा.
अनुमानों वाले बयान पर भी रोक
नियामक बोर्ड ने तकनीकी या कानूनी शब्दावली या फिर जटिल भाषा का व्यापक उपयोग और अत्यधिक जानकारी को शामिल करने पर रोक लगा दी है, जो निवेशकों को भ्रम में डाल सकते हैं. नियामक ने बुधवार को अपने बयान में ये भी कहा है कि अनुमानों और भ्रामक पर भी रोक लगा दी गई है.
कहां लागू होगा ये विज्ञापन कोड
ये विज्ञापन कोड पैम्फलेट, सर्कुलर, ब्रोशर, नोटिस, रिसर्च रिपोर्ट, दस्तावेज, सूचना या किसी अन्य चीजों पर लागू होगा. इसके अलावा, किसी इलेक्ट्राॅनिक, वायर्ड या वायरलेस के किसी भी प्रकाशन या डिस्प्ले में उपयोग पर भी लागू होगा. ये सर्कुलर 1 मई से प्रभावी होगा.
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