Adani-Hindenberg Issue: SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में ऑफशोर फंड्स को लेकर नियमों में बदलाव के फैसले का किया बचाव, एक्सपर्ट कमिटी ने उठाये थे सवाल
SEBI On Adani-Hindenberg: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा ये जरुरी कि सभी जांच तय समय सीमा के भीतर पूरी लिया जाए. पर सेबी इससे सहमत नहीं है.
Adani-Hindenberg Saga: अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग के रिपोर्ट मामले में सेबी ने कोर्ट में जमा कराये गए नई फाइलिंग में 2019 में ऑफशोर फंड्स यानि विदेशी फंड्स के लिए रिपोर्टिंग रूल्स में बदलाव करने के अपने फैसले का बचाव किया है. सेबी ने कहा कि नियमों में बदलाव के चलते ऑफशोर फंड्स के सही लाभार्थी का पता लगाना कठिन नहीं हो गया है जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है.
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित कमिटी ने कोर्ट में जमा कराये अपने रिपोर्ट में कहा था कि ऑफशोर फंड्स के लिए रिपोर्टिंग नियमों में बदलाव के चलते अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में निवेश करने ऑफशोर फंड्स का पता लगाना सेबी के लिए कठिन हो गया है. साथ ही सेबी ने कोर्ट को कहा कि जांच शुरू करने या पूरा करने या फिर सेटलमेंट प्रोसिडिंग के लिए किसी प्रकार का समयसीमा निर्धारित करना उचित नहीं होगा.
अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित कमिटी ने अपनी सिफारिशों में कहा कि जांच शुरू करने से लेकर जांच पूरा करने, कार्यवाही शुरू करने, मामले के निपटान से लेकर और कार्यवाही को पूरा करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए.
कमिटी के इस सुझावों पर सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी राय देते हुए कहा कि किसी भी जांच के लिए समय सीमा का निर्धारित किया जाना ठीक नहीं है. क्योंकि सेबी के बोर्ड के पास ये अधिकार है कि वो प्रथम दृष्टि में राय बनाने के बाद ही जांच एजेंसी नियुक्त करे. सेबी बोर्ड द्वारा जांच एजेंसी नियुक्त करने का फैसला कई बातों पर निर्भर करता है. जिसमें अहम ये है कि कब सबसे पहले उल्लंघन पाया गया है या फिर सेबी के सामने उल्लंघन का मामला संज्ञान में आया है. साथ ही सभी जानकारियों की एनालसिस की जाती है और जो रिकॉर्ड पर सबूत उपलब्ध हैं उन्हें खंगाला जाता है.
2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट की जांच करने और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के सेबी ( SEBI) के मौजूदा रेग्यूलेटरी मैकेनिज्म की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ए एम सापरे (AM Sapre) की अगुवाई में एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया था. इस कमिटी में आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व सीईओ रहे के वी कामथ, इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि, एसबीआई के पूर्व चेयरमैन ओ पी भट्ट, जस्टिस जे पी देवधर और सोमशेखर संदरेशन शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने इस कमिटी से दो महीने में अपनी रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में जमा करने को कहा था. कमिटी ने मई में कोर्ट में अपनी सिफारिशों और सुझावों वाले रिपोर्ट को जमा कर दिया था.
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