SEBI: इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों में इंफोसिस को बड़ी राहत, सेबी ने जब्त की गई रकम भी वापस की
Infosys: सेबी ने इंफोसिस के कुछ कर्मचारियों और उनसे जुड़ी कंपनियों पर साल 2021 में एक अंतरिम आदेश के जरिए इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप में कार्रवाई की थी. इसे अब बंद कर दिया गया है.
Infosys: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सोमवार को इंफोसिस को बड़ी राहत दी है. इंफोसिस के कर्मचारियों और उनसे जुड़ी कंपनियों पर लगे इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप हटा लिए गए हैं. इसके साथ ही इन कंपनियों के जब्त किए गए पैसों को वापस कर दिया गया है. इंफोसिस के कर्मचारियों से जुड़ी इन कंपनियों पर आरोप था कि उन्होंने इनसाइडर ट्रेडिंग के जरिए यह रकम कमाई है.
इंफोसिस के कुछ कर्मचारियों और उनसे जुड़ी कंपनियों पर था इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप
सेबी ने अपने नए आदेश में प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया है. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इंफोसिस के कुछ कर्मचारियों और उनसे जुड़ी कंपनियों पर साल 2021 में एक अंतरिम आदेश के जरिए कार्रवाई की थी. इन पर इनसाइडर ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने का आरोप था. सेबी ने अपने फाइनल ऑर्डर में कहा है कि जिन लोगों को भी नोटिस भेजे गए थे, उन सभी के खिलाफ अब कार्रवाई बंद की जा रही है. साथ ही उन संस्थाओं से जब्त की गई किसी भी राशि को भी जारी कर दिया जाएगा.
साल 2021 में जब्त कर ली थी इन कर्मचारियों एवं उनकी कंपनियों की रकम
इंफोसिस पर इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप लगने से कंपनी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग का पता लगाने के लिए 1 दिसंबर, 2019 से 30 नवंबर, 2020 तक चार तिमाहियों के नतीजों की जांच की थी. इसके अलावा भी सेबी ने कई तिमाही के नतीजों की जांच की थी. इसके बाद मई, 2021 में अंतरिम आदेश और दिसंबर, 2021 में एक और आदेश जारी करते हुए इन कर्मचारियों एवं उनकी कंपनियों की रकम जब्त कर ली थी.
सेबी के आदेश के खिलाफ SAT चले गए थे दो कर्मचारी
इसके खिलाफ इंफोसिस के दो कर्मचारी प्रांशू भूतरा और वेंकटसुब्रमण्यम वीवी ने सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में याचिका दाखिल की थी. सैट ने अप्रैल, 2022 में सेबी के आदेश पर रोक लगा दी थी. इसके बाद की गई जांच में प्रांशू भूतरा और वेंकटसुब्रमण्यम वीवी समेत 16 नोटिस प्राप्त करने वालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. इसमें कहा गया था कि प्रांशू भूतरा ने वेंकटसुब्रमण्यम और सुनील कुमार दरेश्वर से नजदीकी के चलते प्राइस सेंसिटिव इंफॉर्मेशन इकट्ठी की और इसे अन्य लोगों को दिया. हालांकि, अब अंतिम आदेश में इसकी पुष्टि के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं.
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