SEBI Rule: शेयर सेल ट्रांजेक्शन के लिए SEBI ने ब्लॉक मैकेनिज्म अनिवार्य किया, कब से लागू होगा-क्या है फायदा
SEBI Rule: सेबी ने एक सर्कुलर में कहा कि बिक्री सौदा करने वाले निवेशकों के डीमैट खातों (प्रतिभूतियों और शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखने का खाता) में 'ब्लॉक' व्यवस्था 14 नवंबर से अनिवार्य हो जाएगी.
SEBI Rule: सेबी ने 19 अगस्त से सेल ट्रांजेक्शंस के लिए निवेशकों के अपने डीमैट खाते में शेयरों को ब्लॉक करना अनिवार्य कर दिया है. यह प्रावधान 14 नवंबर से लागू हो जाएगा. बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों के लिये बिक्री सौदों को लेकर अपने डीमैट खातों में इक्विटी रोकने यानी 'ब्लॉक' करने की व्यवस्था को अनिवार्य कर दिया. फिलहाल निवेशकों के लिये यह सुविधा वैकल्पिक यानी ऑप्शनल है.
'ब्लॉक' व्यवस्था 14 नवंबर से अनिवार्य हो जाएगी
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक सर्कुलर में कहा कि बिक्री सौदा करने वाले निवेशकों के डीमैट खातों (प्रतिभूतियों और शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखने का खाता) में 'ब्लॉक' व्यवस्था 14 नवंबर से अनिवार्य हो जाएगी. इसका सीधा मतलब है कि बिक्री सौदा करने वाले निवेशकों के डीमैट खातों में 'ब्लॉक' व्यवस्था 14 नवंबर से मेंडेटरी हो जाएगी. इसके तहत सेल ट्रांजैक्शन करने निवेशकों के शेयरों को उनके डीमैट खाते में संबंधित क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के पक्ष में ब्लॉक कर दिया जाएगा. इस व्यवस्था के तहत बिक्री सौदा करने को इच्छुक निवेशकों के शेयरों को संबंधित समाशोधन निगम के पक्ष में उसके डीमैट खाते में अवरुद्ध कर दिया जाएगा.
सेबी ने जुलाई में 'ब्लॉक' सिस्टम लाने का फैसला किया था
गौरतलब है कि सेबी ने जुलाई में 'ब्लॉक' सिस्टम लाने का फैसला किया था. इसके तहत एक अगस्त से निवेशकों के पास यह विकल्प होता कि वे एक बिक्री सौदे के लिये अपने डीमैट खातों में शेयरों को रोक सकते हैं. ब्लॉक मैकेनिज्म लाने का फैसला लाने के लिए सेबी ने डिपॉजिटरी, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और शेयर बाजारों के साथ व्यापक परामर्श के बाद फैसला किया है
अरली पे-इन मेथड का ऑप्शन भी मौजूद
इंवेस्टर्स के लिये अरली पे-इन मेथड का ऑप्शन भी उपलब्ध है. इस ऑप्शन के तहत शेयर ग्राहक के डीमैट खाते से क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के खाते में ट्रांसफर किये जाते हैं. यदि अरली पे-इन मैकेनिज्म के तहत बिक्री सौदा नहीं हो पाता है तो उन शेयरों को ग्राहक के खाते में वापस कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया में समय लगता है और इसमें लागत भी जुड़ी है.
लिहाजा अगर सेल ट्रांजैक्शन पूरा नहीं होता है तो शेयर क्लाइंट के डीमैट खाते में बने रहेंगे. इसके अलावा ट्रेडिंग डे के आखिरी में ब्लॉक हटा लिया जाएगा. शेयरों को ब्लॉक करने की प्रक्रिया टाइम बेसिस होगी.
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