SEBI F&O Trade: शेयर बाजार में करते हैं ट्रेड तो अभी जान लें ये जरूरी बात, बड़ा असर डालेगा सेबी का नया बदलाव
F&O Trade Rule: सेबी के आंकड़ों के अनुसार हर 10 में से 9 खुदरा निवेशक बाजार में पैसे गंवाते हैं. इसी बात के कारण सेबी चिंतित है और प्रावधानों को कड़े करने की तैयारी में है...
शेयर बाजार में ट्रेडिंग भारत में तेजी से लोकप्रिय हुआ है. पिछले कुछ सालों में खासकर कोविड के बाद बाजार में ट्रेड करने वालों की संख्या बढ़ी है. अगर आप भी शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. बाजार नियामक शेयर ट्रेडिंग को लेकर एक बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है, जिससे सभी ट्रेडर्स प्रभावित होंगे.
बाजार की रैली ने बढ़ाया डर
दरअसल बाजार नियामक सेबी की तैयारी खुदरा निवेशकों के लिए रिस्क को कम करने से जुड़ी हुई है. इसके लिए सेबी का प्रस्ताव है कि फ्यूचर एंड ऑप्शंस में ट्रेड करने वालों की संपत्ति में इक्विटी डेरिवेटिव्स के अमाउंट को लिंक किया जाए. रॉयटर्स की मानें तो सेबी भारतीय शेयर बाजार की हालिया रैली को देखते हुए यह कदम उठा रहा है. सेबी को लगता है कि बाजार में लौटी रैली से बड़ी संख्या में खुदरा निवेशक आकर्षित हो सकते हैं.
बाजार में इतने लोग गंवा रहे पैसे
सेबी के आंकड़ों के अनुसार, इक्विटी डेरिवेटिव मार्केट में खुदरा निवेशकों की भागीदारी पिछले 3 साल में 500 फीसदी बढ़ी है. जनवरी में आई सेबी की एक स्टडी की मानें तो इनमें बड़ी संख्या ऐसे निवेशकों की है, जिनकी उम्र 30 साल के आस-पास है. ऐसे निवेशकों के मामले में हर 10 में से 9 ट्रेडर्स ने बाजार में पैसे गंवाए हैं. ऐसे निवेशकों का औसत नुकसान 1.1 लाख रुपये है. छोटे निवेशकों के हिसाब से देखें तो यह बड़ा अमाउंट है.
ये है सेबी का अहम प्रस्ताव
खुदरा निवेशकों को होने वाले नुकसान के ये भयावह आंकड़े ही सेबी की चिंता का विषय हैं. सेबी ने इससे पहले ब्रोकर्स को कहा था कि वे डेरिवेटिव्स में ट्रेड करने के रिस्क को अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से दिखाएं. अब सेबी खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. रॉयटर्स की खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सेबी फ्यूचर एंड ऑप्शंस में होने वाले ट्रेड की वैल्यू को ट्रेडर्स की इनकम व नेट वर्थ से लिंक करने के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श कर रहा है.
ट्रेडिंग पर लग जाएगी लिमिट
सूत्रों के अनुसार, अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो ट्रेडर्स की नेट वर्थ व इनकम के बारे में स्टॉक मार्केट को जानकारी देने की जिम्मेदारी ब्रोकर्स को दी जा सकती है. एक बार जब ब्रोकर इन्वेस्टर की नेट वर्थव इनकम के बारे में स्टॉक एक्सचेंज को बता देगा, उसके बाद एक्सचेंज अलग-अलग ब्रोकरेज फर्म के जरिए फ्यूचर एंड ऑप्शंस में ट्रेडर्स के एक्सपोजर को मॉनिटर कर पाएगा. ट्रेडर्स की नेटवर्थ के हिसाब से ही ट्रेडिंग वॉल्यूम पर लिमिट लगा दी जाएगी.
क्या होगा बदलाव का असर
अब समझते हैं कि इसका क्या असर होने वाला है. फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में मोटा मुनाफा तो होता है, लेकिन नुकसान भी भयानक होता है. कई बार ऐसा होता है कि एक तगड़े नुकसान से ट्रेडर्स की अब तक की सारी कमाई डूब जाती है. अगर नए नियम अमल में आते हैं तो ब्रोकर के द्वारा बताई गई नेट वर्थ के तय मल्टीपल में ट्रेडिंग वॉल्यूम की लिमिट लग जाएगी. ट्रेडर उस लिमिट से ज्यादा खुद को एक्सपोज नहीं कर पाएगा. ऐसे में ट्रेडर्स को हो सकने वाला नुकसान भी एक लिमिट में रहेगा.
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