SEBI New Rules: सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने जानकारी दी है कि डीलिस्टिंग के नियम (Delisting Rules) आसान बनाए जाएंगे. उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) द्वारा आयोजित कैपिटल मार्केट कांफेरेंस को सम्बोधित करते हुए पुरी ने कहा कि ऐसा समझा जाता था कि सेबी (SEBI) कभी भी डीलिस्टिंग नियमों को रिव्यू नहीं करेगा. सेबी रिवर्स बुक-बिल्डिंग प्रक्रिया पर ही बना रहेगा. मगर, इस संबंध में परामर्श पत्र जारी किया जा चुका है. इस पर सेबी को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. हम डीलिस्टिंग नियमों पर इस प्रस्ताव को अगली बोर्ड बैठक में पेश करेंगे. बोर्ड बैठक इस महीने के अंत या अगले महीने हो सकती है.
क्या हो सकते हैं बदलाव
सेबी के एक समूह ने रिवर्स बुक बिल्डिंग को आसान बनाने के लिए प्रयास किया है. इसमें फिक्स रेट पर शेयर को डीलिस्ट करने का विकल्प भी शामिल है. अगस्त में सामने आए इस कंसलटेशन पेपर के मुताबिक, फिक्स प्राइस वाला रास्ता अपनाने से शेयरधारक डीलिस्टिंग ऑफर की कीमत को लेकर आश्वस्त हो सकेंगे. कीमत पता होने की वजह से वह आसानी से तय कर सकेंगे कि उन्हें डीलिस्टिंग प्रकिया में शामिल होना चाहिए या नहीं.
अभी क्या हैं नियम
फिलहाल रिवर्स बुक बिल्डिंग के नियमों के तहत, निकास मूल्य तब निर्धारित किया जाता है जब प्रमोटर की शेयरहोल्डिंग और पब्लिक शेयरहोल्डरों द्वारा दिए गए शेयरों के साथ, कुल जारी किए गए शेयरों के 90% तक पहुंच जाती है. शेयरधारकों को मौका दिया जाता है कि वह फ्लोर प्राइस के बराबर या ज्यादा का ऑफर लगाएं. अंतिम तारीख तक आए सभी ऑफर्स के आधार पर बायबैक की कीमत तय की जाती है. इसके चलते बायबैक की पारदर्शी कीमत तय हो जाती है.
कीमतों में किया गया हेरफेर
हालांकि, सेबी को पता चल है कि कुछ कंपनियों ने इस प्रक्रिया का इस्तेमाल कीमतों में हेरफेर के लिए किया है. इस पर लगाम कसने के लिए ही सेबी नए नियम लाने का मन बना चुका है ताकि स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट होने वाली कंपनी किसी भी हाल में शेयर की कीमतों से खिलवाड़ न कर सके. सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि वह बाजार में भरोसा, पारदर्शिता और विकास बनाए रखने के लिए लगातार काम कर रही हैं. यदि भरोसा नहीं होगा तो व्यापार करने में आसानी कभी नहीं हो सकती.
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