(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
IPO in India: आईपीओ लाने के लिए नियमों से हेरफेर कर रहीं कंपनियां, सेबी ने बढ़ाई सख्ती
Sebi Scrutiny: कंपनियों द्वारा आईपीओ लाने के सही कारणों को न बताए जाने के चलते सेबी ने जांच बढ़ाने का फैसला किया है, सूत्रों के मुताबिक, 6 कंपनियों के आईपीओ पेपर्स वापस किए जा चुके हैं.
Sebi Scrutiny: शेयर मार्केट में आईपीओ लाने वाली कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. भारतीय इकोनॉमी में लगातार हो रहे उछाल का हिस्सा बनने के लिए कंपनियां उतावली हैं. इसके चलते हर महीने कई आईपीओ मार्केट में उतर रहे हैं. अब आईपीओ लाने की चाहत रखने वालों को सेबी की सख्ती से निपटना पड़ेगा. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आईपीओ दस्तावेज की जांच के नियम और सख्त करने का फैसला लिया है. सेबी पिछले कुछ समय में लगभग 6 कंपनियों के आईपीओ पेपर्स रिजेक्ट कर चुकी है.
6 कंपनियों के आईपीओ दस्तावेज वापस किए गए
रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सेबी बाजार में बढ़ रहे आईपीओ को लेकर ज्यादा सतर्कता बरत रही है. इसलिए आईपीओ पेपर्स की जांच बढ़ा दी गई है. यही वजह है कि 6 कंपनियों के आईपीओ दस्तावेज वापस किए जा चुके हैं. अपनी जांच में सेबी को पता चला था कि ये कंपनियां आईपीओ के जरिए पैसा जुटाने के कारणों को लेकर गुमराह कर रही थीं. शेयर मार्केट में उछाल के कारण साल 2023 में लगभग 50 कंपनियों ने आईपीओ (Initial Public Offering) लॉन्च किए थे. इस साल भी अब तक 8 आईपीओ बाजार में आ चुके हैं. साथ ही 40 को सेबी से मंजूरी का इंतजार है.
आईपीओ लाने के सही कारण नहीं बता रही थीं
रॉयटर्स के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि सेबी ने जब इन कंपनियों के पैसा जुटाने के कारणों का पता लगाया तो उन्हें शक हुआ. जांच में पता लगा कि ये कंपनियां आईपीओ लाने के सही कारण नहीं बता रही हैं. इसलिए उनके आईपीओ प्रस्ताव वापस कर दिए गए. सेबी चाहती है कि पैसा जुटाने का सही कारण पता चल सकें ताकि निवेशकों को कोई दिक्कत नहीं हो.
ये हैं पैसा खर्च करने के नियम
सेबी के नियमों के अनुसार, आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कैपिटल एक्सपेंडिचर, कर्ज चुकाने, कॉरपोरेट जरूरतों को पूरा करने और अधिग्रहण जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. अगर कर्ज चुकाने के लिए पैसों का इस्तेमाल करना है तो 18 महीनों के लिए प्रमोटरों और बड़े शेयरहोल्डर्स के शेयर लॉक करने पड़ते हैं. अगर इसी पैसे को कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए खर्च करना है तो लॉक इन पीरियड 3 साल का हो जाता है.
लॉक इन पीरियड कम करने के लिए हेरफेर
सूत्रों के मुताबिक, कंपनियां दावा कर रही हैं कि वे कर्ज चुकाने के लिए पैसों का इस्तेमाल करेंगी ताकि उनका लॉक इन पीरियड 18 महीने हो जाए. हालांकि, असल में वो इस पैसा के इस्तेमाल कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए करना चाहती थीं. इसलिए सेबी अब कर्ज चुकाने के लिए पूरा विवरण मांग रहा है ताकि पता चल सके कि कितना और कैसे कर्ज चुकाया जाएगा. इस महीने की शुरुआत में ही सेबी ने घोषणा की थी कि वह सब्सक्रिप्शन नंबर बढ़ाने के आरोप में 3 आईपीओ की जांच कर रहा है. सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने कहा कि कहा था कि इस तरह की गड़बड़ियां दूर करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं.
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