अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के द्वारा अडानी समूह को लेकर जारी विवादास्पद रिपोर्ट को आए साल भर से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन अब भी बीच-बीच में उसकी चर्चा होती रहती है. अभी एक बार फिर से हिंडनबर्ग चर्चा में है, क्योंकि उसकी रिपोर्ट के चलते अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज को पिछली तिमाही में बाजार नियामक से 2 नोटिस मिले.
कंपनी ने खुद से दी जानकारी
सेबी से कारण बताओ नोटिस मिलने की जानकारी खुद अडानी एंटरप्राइजेज ने दी है. कंपनी ने मार्च तिमाही के रिजल्ट के साथ शेयर बाजारों को एक दिन पहले गुरुवार को नोटिस के बारे में जानकारी दी. कंपनी ने बताया कि सेबी से उसे जो कारण बताओ नोटिस मिले हैं, वे कथित तौर पर लिस्टिंग एग्रीमेंट के सेबी के प्रावधानों व डिसक्लोजर की जरूरतों (एलओडीआर रेगुलेशंस) का अनुपालन नहीं करने के चलते है.
नोटिस का नहीं हुआ बड़ा असर
हालांकि अडानी एंटरप्राइजेज ने साथ में यह भी बताया है कि मार्च 2024 की तिमाही के दौरान सेबी से मिले कारण बताओ नोटिस से पिछले वित्त वर्ष के उसके फाइनेंशियल स्टेटमेंट पर कोई असर नहीं हुआ है. कंपनी ने ये भी दावा किया कि उसके ऊपर लागू नियमों व कानूनों का पालन नहीं करने का कोई ठोस मामला नहीं है.
कंपनी ने कराया असेसमेंट
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के खिलाफ पिछले साल की मार्च तिमाही में रिपोर्ट जारी की थी. अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी का कहना है कि जनवरी 2023 में आई विवादास्पद रिपोर्ट के बाद उसने एक लॉ फर्म के द्वारा इंडिपेंडेंट असेसमेंट कराया. असेसमेंट में पता चला कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में जिन्हें रिलेटेड पार्टीज बताया गया, वास्तव में उनका पैरेंट कंपनी या किसी अनुषंगियों के साथ कोई संबंध नहीं है.
सेबी को नहीं मिलीं गड़बड़ियां
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के ऊपर शेयरों के दाम को प्रभावित करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे. उसके बाद विवाद काफी बढ़ गया था. मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बाजार नियामक सेबी के द्वारा जांच की गई. जांच में पाया गया कि अडानी समूह के खिलाफ जिन कथित गड़बड़ियों के आरोप हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए थे, वे सही नहीं थे.
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