SEBI IPO Reform: एक के बाद एक कंपनियां जब अपना आईपीओ लेकर आ रही हैं ऐसे में शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी ( SEBI) ने आईपीओ लाने के लिए नियमों को सख्त कर दिया है. आईपीओ लाने वाली कंपनियों को बाजार से जुटाये जा रहे रकम के जरिए किए जाने वाले अधिग्रहण का खुलासा करना होगा. सेबी द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक अब भविष्य के अज्ञात अधिग्रहणों के लिए IPO के जरिए सीमित राशि ही जुटाई जा सकेगी. SEBI ने कहा है कि एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन पीरियड को 90 दिनों तक के लिए बढ़ा दी गई है. 


अधिग्रहण का करना होगा खुलासा
दरअसल हाल फिलहाल में कई टेक्नोलॉजी कंपनियां जिन्होंने आईपीओ लाने के सेबी के पास DRHP ( Draft Red Herring Prospectus) फाइल किया जिसमें कंपनियों ने केवल ये बताया कि आईपीओ के जरिए जुटाये जा रहे रकम से कंपनी के ग्रोथ के लिए वे अधिग्रहण करेंगी लेकिन विस्तार से कुछ भी खुलासा नहीं किया. सेबी ने कहा है कि अगर कंपनियां अधिग्रहण का खुलासा नहीं करना चाहती है तो ऐसे कामों के लिए आईपीओ के जरिए जुटाये जा रहे रकम का 35 फीसदी से ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. 


ऑफर फॉर सेल के जरिए शेयर बेचने पर नकेल
हाल ही में स्टार्टअप्स द्वारा लाए जा रहे आईपीओ में ऑफर फॉर सेल के जरिए ज्यादा शेयर्स बेचने पर भी सेबी ने नकेल कसने का फैसला किया है. सेबी ने आईपीओ में ऑफर फॉर सेल के जरिए कंपनियों के मौजूदा शेयरधारकों के शेयर बेचने पर भी लिमिट लगाने का फैसला किया है. किसी भी कंपनी में 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले शेयरधारक ऑफर फॉर सेल के जरिए केवल अपने आधे शेयर्स ही बेच पायेंगे. जिन निवेशकों की 20 फीसदी से कम हिस्सेदारी है वे केवल ऑफर फॉर सेल में कुल होल्डिंग के 10 फीसदी शेयर ही आईपीओ में बेच सकेंगे.  


आईपीओ फंड की सख्त मॉनिटरिंग
सेबी ने कहा है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी कंपनियों के आईपीओ के जरिए जुटाये गए रकम के इस्तेमाल के मॉनिटरिंग एजेंसी के तौर पर कार्य करेंगे. सेबी ने कहा है कि आईपीओ फंड की मॉनिटरिंग तब तक जारी रहेगी जब तक 100 फीसदी रकम का इस्तेमाल नहीं कर लिया जाता है. पहले ये लिमिट 95 फीसदी थी. इसके अलावा जनरल कॉरपोरेट इस्तेमाल के किए जा रहे फंड की मॉनिटरिंग की जाएगी. पहले सेबी इसे माॉनिटर नहीं करता था. 


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