SEBI New Guidelines: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट में नॉमिनेशन से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. इसके तहत कोई इंवेस्टर डीमैट खाते या म्यूचुअल फंड फोलियो में अब अधिकतम 10 व्यक्तियों को नॉमिनी बना सकता है. यह नया नियम 1 मार्च, 2025 से प्रभावी होगा. 


सेबी की नई गाइडलाइन में इस बात का जिक्र


सेबी के इस बदलाव का मकसद क्लेम न की जाने वाली संपत्तियों में कमी लाना और निवेशों के बेहतर मैनेजमेंट को सुनिश्चित करना है. कई बार इंवेस्टर की मृत्यु हो जाने पर या गंभीर बीमारी की स्थिति में या तो इंवेस्टमेंट को लेकर परिवार के सदस्यों में नोंकझोंक बढ़ जाती है या कोई राशि पर क्लेम ही नहीं करता है. इसके निपटारे के लिए सेबी ने यह कदम उठाया है.


हालांकि, इसके लिए नॉमिनी का पूरा डिटेल मुहैया कराना जरूरी होगा जैसे कि फोन नंबर, ईमेल, पता, आधार नंबर, पैन नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर वगैरह. कुल मिलाकर नॉमिनी की व्यक्तिगत जानकारी से जुड़ी सारे डिटेल देने होंगे. साथ ही नॉमिनी के साथ अपना रिश्ता भी बताना होगा. सेबी ने यह भी कह दिया है कि इंवेस्टर के पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) को नॉमिनी डिक्लेयर करने का अधिकार नहीं होगा. 


इसी के साथ नॉमिनी के लिए जारी नए नियम के मुताबिक, म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट में नामित हुआ व्यक्ति या तो अन्य नामांकित व्यक्तियों के साथ जॉइंट होल्डर रह सकता है या अपने-अपने हिस्से के लिए अलग फोलियो या सिंगल अकाउंट बना सकेंगे. इसी के साथ रजिस्टर्ड नॉमिनी को एसेट्स ट्रांसफर करने के लिए इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ेगी.



  • मृत निवेशक के डेथ सर्टिफिकेट की सेल्फ-अटेस्टेड कॉपी

  • नॉमिनी का केवाईसी ठीक से पूरा होना चाहिए

  • क्रेडिटर्स से ड्यू डिस्चार्ज 


सेबी ने म्यूचुअल फंड हाउस और डिपॉजिटरी जैसे विनियमित संस्थाओं को आदेश दिया है कि वे निवेशकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से नामांकन फॉर्म जमा करने का विकल्प दें. इसी के साथ इंवेस्टर को हर नॉमिनी सबमिशन पर एक एक्नॉलेजमेंट मिलेगा, जिससे इस पूरी प्रक्रिया में ट्रांसपरेंसी मेंटेन रहेगी. इसके अलावा, विनियमित संस्थाओं को खाते या फोलियो के हस्तांतरण के बाद आठ सालों तक नॉमिनी और एक्नॉलेजमेंट का रिकॉर्ड बनाए रखना होगा. 


शारीरिक रूप से अक्षम निवेशक के लिए यह है नियम


सेबी की नई गाइडलाइन के तहत यदि निवेशक शारीरिक रूप से अक्षम है तो म्यूचुअल फंड या ब्रोकर को उसके बनाए गए नॉमिनी में से किसी एक को अकाउंट हैंडल करने का विकल्प देना होगा.  इतना ही नहीं, निवेशक चाहे तो ऐसे नॉमिनी के लिए अपने अकाउंट/फोलियो में परिसंप​त्ति का खास प्रतिशत और संपूर्ण वैल्यू का चयन भी कर सकेंगे.


इस स्थिति में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के लिए यह जरूरी होगा कि उनके द्वारा शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति की मंजूरी व्यक्तिगत रूप से ली जाए. सबसे जरूरी बात यह है कि निकाले गए फंड को केवल इंवेस्टर के रजिस्टर्ड बैंक अकाउंट में ही किया जा सकेगा. इसमें पहले से दिए गए कॉन्टैक्ट डिटेल या लिंक्ड अकाउंट में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा.


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