इस साल की शुरुआत से ही अडानी समूह को विवादों का सामना करना पड़ रहा है. पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई. उसके बाद द केन की रिपोर्ट और रेटिंग एजेंसियों के कदमों ने अडानी समूह की मुश्किलें बढ़ाई. इस बीच बाजार नियामक भी अपनी तैयारी में लगा हुआ है. नियामक ने समूह को लेकर कोई टिप्पणी तो नहीं की, लेकिन उसने कहा कि जांच की जा रही है और रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी.


सेबी चेयरपर्सन ने दिया ये जवाब


सेबी की हालिया बोर्ड बैठक के बाद नियामक की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (SEBI Chairperson Madhabi Puri Buch) बुधवार को मीडिया को संबोधित कर रही थीं. इस दौरान सेबी चेयरपर्सन ने कई अन्य मुद्दों पर भी प्रतिक्रियाएं दी. उनसे अडानी से जुड़े विवादों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से मना कर दिया. सेबी चेयरपर्सन ने कहा कि किसी एक एंटिटी के बारे में टिप्पणी करना ठीक नहीं है, खासकर जब मामला न्यायाधीन हो. उन्होंने कहा कि अडानी समूह से जुड़े मुद्दों और विवादों की जांच की जा रही है. सेबी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगा.


आपको बता दें कि घरेलू शेयर बाजार (Indian Share Market) में ट्रेडिंग अब और पारदर्शी होने वाली है. इसके साथ ही निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए भी नए प्रावधान (SEBI New Norms) किए गए हैं. बाजार नियामक सेबी ने शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों को लेकर नियमों को सख्त किया है.


सेबी चेयरपर्सन ने कहा कि बाजार नियामक ने शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों से जुड़ी सूचनाओं को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किया है. सेबी का यह कदम अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए है. सेबी ने बड़ी कंपनियों से कहा है कि अब उन्हें बाजार में चल रही हर वैसी खबरों व अफवाहों का या तो खंडन करना होगा अथवा उन्हें पुष्टि करनी होगी, जो शेयरों के भाव पर असर डाल सकती हैं. इससे न सिर्फ बाजार में पारदर्शिता आएगी, बल्कि साथ-साथ समय पर महत्वपूर्ण सूचनाओं का खुलासा भी सुनिश्चित होगा.


30 मिनट में करना होगा खुलासा


सेबी ने बोर्ड की बैठक के बाद बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बदलावों की जानकारी दी. सेबी के अनुसार, बाजार पूंजीकरण के हिसाब से 100 सबसे बड़ी कंपनियों को 01 अक्टूबर 2023 से नए नियमों का पालन करना होगा. वहीं टॉप-250 कंपनियों को इसके लिए 01 अप्रैल 2024 तक का समय दिया गया है. 
सेबी ने इसके साथ ही मैटीरियल इंफॉर्मेशन को लेकर भी प्रावधान किया है. सेबी का कहना है कि निदेशक मंडल की बैठक के बाद 30 मिनटों के भीतर कंपनियों को मैटीरियल इंफॉर्मेशन का खुलासा करना होगा. हालांकि सेबी ने अभी यह नहीं बताया है कि उसके हिसाब से मैटीरियल इंफॉर्मेशन क्या हैं. नियामक ने कहा कि वह जल्दी ही इस संबंध में बेंचमार्कों की जानकारी देगा.


अडानी पर सेबी का नो कमेंट


इस दौरान सेबी चेयरपर्सन ने कई अन्य मुद्दों पर भी प्रतिक्रियाएं दी. उनसे अडानी से जुड़े विवादों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से मना कर दिया. सेबी चेयरपर्सन ने कहा कि किसी एक एंटिटी के बारे में टिप्पणी करना ठीक नहीं है, खासकर जब मामला न्यायाधीन हो. उन्होंने कहा कि अडानी समूह से जुड़े मुद्दों और विवादों की जांच की जा रही है. सेबी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगा.


03 महीने में भरने होंगे ये पद


सेबी ने कंपनी के निदेशकों की नियुक्ति को लेकर भी बदलाव किया. अभी बोर्ड में परमानेंट डाइरेक्टर के पद होते हैं, लेकिन अब इनका प्रावधान हटा दिया गया है. सेबी का कहना है कि किसी भी लिस्टेड कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल हर व्यक्ति को समय-समय पर शेयरधारकों की मंजूरी की जरूरत होगी. कंपनियों को डाइरेक्टर, कम्पलायंस ऑफिसर, चीफ एक्सीक्यूटिव ऑफिसर और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर जैसे पदों को खाली होने के 03 महीने के भीतर भरना होगा.


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