रीट यानी रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इनविट यानी इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ी है. कम रकम में निवेश करने की सुविधा और कभी भी एक्जिट करने की सहूलियत ने निवेशकों को रीट और इनविट के प्रति आकर्षित किया है. हालांकि ऐसा देखने को मिला है कि रीट और इनविट में लगाए गए पैसों के एक हिस्से पर कोई क्लेम नहीं करता है. सेबी ने अब ऐसे अनक्लेम्ड फंड को लेकर नियमों को आसान बनाया है.


अगले साल मार्च से होंगे लागू


बाजार नियामक सेबी ने रीट और इनविट में अनक्लेम्ड फंड को लेकर बुधवार को विस्तार से प्रक्रिया की जानकारी दी. सेबी के इन नियमों से रीट और इनिवट में पड़े अनक्लेम्ड फंड को निवेशकों के द्वारा क्लेम करना आसान हो जाएगा. सेबी के ये नए नियम अभी लागू नहीं हुए हैं. नियामक ने बताया है कि नए आसान नियम 1 मार्च 2024 से अमल में आएंगे.


नियामक सेबी का ये है उद्देश्य


इससे पहले सेबी ने सितंबर में इन्वेस्टर प्रोटेक्शन एंड एजुकेशन फंड यानी आईपीईएफ, रीट और इनविट के डिस्क्लोजर को लेकर नियमों में संशोधन की मंजूरी दी थी. अब सेबी ने तीन सर्कुलर के माध्यम से अनक्लेम्ड फंड को क्लेम करने की प्रक्रिया की जानकारी दी है. सेबी का कहना है कि उसके ये कदम निवेशकों की आसानी और सहूलियत के लिए एक यूनिफॉर्म प्रोसेस बनाने पर क्रेंदित है, जिनके माध्यम से व्यवस्थित तरीके से अनक्लेम्ड फंड को क्लेम करना संभव हो सके.


इस तरह से कर पाएंगे क्लेम


सेबी ने एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया तय की है और सभी लिस्टेड एंटिटीज, रीट और इनविट को उनका पालन करने के लिए कहा है. उसके तहत सभी लिस्टेड एंटिटीज, रीट और इनविट अनक्लेम्ड फंड को एक एस्क्रो अकाउंट में ट्रांसफर करेंगे. इन्वेस्टर एस्क्रो अकाउंट से वैसे फंड को क्लेम कर सकेंगे. क्लेम करने के लिए इन्वेस्टर्स को लिस्टेड एंटिटीज, रीट या इनविट से संपर्क करना होगा.


इन मामलों को भी कर चुका है आसान


एस्क्रो अकाउंट में पैसे को ट्रांसफर किए जाने के बाद इन्वेस्टर्स के पास उन्हें क्लेम करने के लिए सात सालों का समय मिलेगा. अगर सात सालों में भी उन्हें क्लेम नहीं किया जाता है तो फंड को आईईपीएफ में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. सेबी ने इससे कुछ ही दिन पहले इन्वेस्टर्स की मौत हो जाने पर उनके शेयरों को क्लेम करने की प्रक्रिया में भी बदलाव किया है और उसे भी आसान बनाया गया है.


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