सेबी ने टेक्नोलॉजी फिनटेक कंपनियों के लिए म्यूचुअल फंड शुरू करने का रास्ता साफ कर दिया है. सेबी ने कहा है कि म्यूचुअल फंड के जो स्पॉन्सर मुनाफे के मानदंडों को पूरा नहीं करते वे भी म्यूचुअल फंड लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं. सेबी के इस फैसले से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में एंट्री का इंतजार कर रही कंपनियों को नया मौका मिल रहा है. हालांकि उन्हें यह दिखाना होगा कि म्यूचु्अल फंड में उनकी नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये की है. सेबी के अनुसार एएमसी के नेटवर्थ को उस समय तक बनाये रखना होगा जबतक ये लगातार पांच साल तक लाभ में नहीं रहे.
आसान नहीं होगा फिनटेक कंपनियों के लिए म्यूचुअल फंड्स से मुकाबला
सेबी ने कहा है कि इस फैसले से म्यूचुअल फंड में नए इनोवेशन आएंगे और ये इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट ज्यादा लोगों तक पहुंचेंगे. टेक्नोलॉजी कंपनियों की बदौलत म्यूचु्अल फंड प्रोडक्टनिवेशकों के पास जल्दी पहुंचेंगे. हालांकि म्यूचुअल फंड्स इंटरमीडियरी कपनियों का कहना है कि फिनटेक कंपनियों के लिए म्यूचुअल फंडों से मुकाबला करना आसान नहीं होगा. जब तक वे अपनी सर्विस को उनसे अलग बनाने में कामयाब नहीं होगा तब तक उनके लिए मुकाबला बेहद कठिन होगा.
कई फिनटेक कंपनियां म्यूचुअल फंड्स के लिए लाइसेंस की दौड़ में
खबर है टेक एंटरप्रेन्योर और फ्लिपकार्ट के पूर्व को-फाउंडर सचिन बंसल अपनी कंपनी बीएसी एक्विजशन्स के जरिये एसेल म्यूचुअल फंड के अधिग्रहण की प्रक्रिया में लगे हैं. जो फिनटेक कंपनियां म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूशन में लगी हैं उनमें जिरोधा, पेटीएम, ग्रो और कुवेरा शामिल हैं. जिरोधा ने म्यूचुअल फंड लाइसेंस के लिए सेबी में अप्लाई किया है.
इंडस्ट्री में 40 से ज्यादा फंड हाउस हैं. फिनटेक कंपनियां अपने डिस्ट्रीब्यूशन सेक्शन के जरिये निवेशकों तक जल्द पहुंच बना सकती हैं लेकिन उन्हें प्रदर्शन बेहतर बनाना होगा और प्रोडक्ट को परंपरागत प्रोडक्ट से अलग साबित करना होगा तभी वे पहले से जमे हुए म्यूचुअल फंड हाउस को टक्कर दे पाएंगे.
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