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सेबी ने ETF जैसी म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए 'एमएफ लाइट' का प्रस्ताव रखा, ड्राफ्ट पेपर जारी कर मांगी राय
Mutual Fund: पैसिव म्यूचुअल फंड योजनाओं के मैनेजमेंट में कम जोखिम को ध्यान में रखते हुए सेबी ने 'एमएफ लाइट' का प्रस्ताव रखा है. इस पर 22 जुलाई तक पब्लिक की राय और कमेंट आने के बाद फैसला हो सकता है.
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Mutual Fund: शेयर बाजार नियामक सेबी ने कंप्लाइंस शर्तों में ढील देने के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) जैसी 'पैसिव' म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए एक आसान रेगुलेटरी ढांचे का प्रस्ताव रखा. सेबी ने इस पर 22 जुलाई तक पब्लिक कमेंट मांगे हैं. 'पैसिव' म्यूचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं के मैनेजमेंट में तुलनात्मक तौर पर कम जोखिम को ध्यान में रखते हुए सेबी ने 'एमएफ लाइट' का प्रस्ताव रखा है.
ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियां (एएमसी) जो एक्टिव और पैसिव दोनों प्रकार के फंड ऑफर करती हैं, उनके पास नए एमएफ लाइट के क्राइटेरिया के तहत पैसिव बिजनेस को एक अलग यूनिट में सौंपने का विकल्प भी होगा.
क्या खास है सेबी के कंसलटेशन पेपर में
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने अपने कंसलटेशन पेपर में कहा कि 'पैसिव' एमएफ स्कीम के तहत ईटीएफ और इंडेक्स फंड से जुड़ी इक्विटी में निवेश किया जाता है. वहीं 'एक्टिव फंड' स्कीम को एक्सपर्ट फंड मैनेजर्स की जरूरत होती है. ये ऐसे फंड हैं जो इंवेस्टमेंट के आसान रास्ते का चुनाव करते हैं और इक्विटी का कलेक्शन करते हैं. अब इस पर 22 जुलाई तक पब्लिक की राय और कमेंट आने के बाद इस पर फैसला लिया जा सकता है.
सेबी ने पैसिव एमएफ प्लान के लिए MF लाइट रेगुलेशन का प्रस्ताव किया
हालांकि, एमएफ के लिए मौजूदा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क सभी म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए एक समान तरीके से लागू होता है. इनमें नेट ऐसेट, पिछला परफॉरमेंस और प्रॉफिटेबिलिटी जैसी एंट्री की दिक्क्तों को लेकर कोई अंतर नहीं होता है. मौजूदा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के अलग अलग प्रावधान 'पैसिव' योजनाओं के लिए असरदार और कारगर नहीं हो सकते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए सेबी ने 'पैसिव' एमएफ प्लान के लिए एमएफ लाइट रेगुलेशन का प्रस्ताव किया है.
क्या है पैसिव फंड्स के लिए सेबी का लक्ष्य
इसका उद्देश्य कंप्लाइंस जरूरतों को कम करना, इनोवेशन को बढ़ावा देना, कॉम्पटीशन को प्रोत्साहित करना और केवल पैसिव म्यूचुअल फंड स्कीम लाने में दिलचस्पी रखने वाले म्यूचुअल फंड की एंट्री को आसान बनाना है.
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