SEBI का एनसीडी की फेस वैल्यू 1 लाख से घटाकर 10 हजार करने का प्रस्ताव, क्या है NCD जो दिलाती है 10 फीसदी तक सालाना रिटर्न
SEBI Decision on NCD: सेबी ने नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर मार्केट में बड़े बदलाव के लिए कदम उठाया है जिससे 10 हजार रुपये तक फेस वैल्यू वाले एनसीडी जारी हो सकेंगे. अभी इनकी फेस वैल्यू सीमा 1 लाख रुपये है.
SEBI Decision on NCD: सेबी ने नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) से जुड़े एक बड़े बदलाव को लागू करने के लिए कदम बढ़ाया है. इससे गैर-संस्थागत निवेशकों की भागीदारी एनसीडी या इस तरह के दूसरे मार्केट में बढ़ेगी. आसान शब्दों में कहें तो रिटेल निवेशकों की भागीदारी भी इस एनसीडी मार्केट में बढ़ेगी.
क्या है सेबी का कदम
सेबी ने कंपनियों को 10,000 रुपये की फेस वैल्यू के साथ नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) और नॉन-कन्वर्टिबल रिडीमेबल प्रिफरेंस शेयर (एनसीआरपीएस) जारी करने की मंजूरी देने का प्रस्ताव रखा है. सेबी ने कंपनियों के लिए एनसीडी के फेस वैल्यू की लिमिट घटाकर 10 हजार रुपये तक लाने का प्रस्ताव रखा है. मौजूदा सिस्टम के मुताबिक एक लाख रुपये फेस वैल्यू वाले एनसीडी जारी कर सकती हैं. सेबी ने इसके लिए अपने कंसल्टेशन पेपर में कई सुझाव देने के साथ सिफारिश की वजह भी बताई है.
सेबी पेपर में क्या कहा गया
सेबी कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक इस कदम के जरिए कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में गैर-संस्थागत निवेशकों की भागीदारी को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. इसके साथ ही नॉन-इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स के हितों की सुरक्षा करने के अलावा इनके फाइनेंशियल रिस्क को कम करने और ऐसेट मैनेज करने की कोशिश की गई है.
क्या कहना है मार्केट से जुड़े एक्सपर्ट्स का
जेरोधा के फाउंडर नितिन कामथ ने सोमवार को कहा कि कॉर्पोरेट बॉन्ड के फेस वैल्यू को कम करने के सेबी के प्रस्ताव से रिटेल भागीदारी में बढ़ोतरी हो सकती है. निखिल कामथ ने कहा कि ये उनके लिए कुछ सेविंग्स करने और फिर इक्विटी म्यूचुअल फंड और डायरेक्ट इक्विटी में निवेश करने के अच्छे साधन बन सकते हैं. पिछले साल यानी अक्टूबर 2022 में सेबी ने एनसीडी या कॉरपोरेट बॉन्ड की फेस वैल्यू 10 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये कर दी थी.
क्यों उठाया सेबी ने ये कदम
ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफार्मों के लिए रेगुलेटरी स्ट्रक्चर की शुरूआत के मुताबिक, इंवेस्टर बेस का एक बड़ा हिस्सा गैर-संस्थागत निवेशकों यानी नॉन-इंस्टीट्यूशवल इंवेस्टर्स का है. लिहाजा सेबी ने प्राइवेट प्लेसमेंट के बेस पर जारी डेट सिक्योरिटीज और एनसीआरपीएस के मिनिमम फेस वैल्यू में कटौती करने का सुझाव दिया है. इससे इस मार्केट में गैर-संस्थागत निवेशकों की भागीदारी ज्यादा हो सकेगी यानी रिटेल निवेशक ज्यादा पैसा लगा सकेंगे.
सेबी के कंसल्टेशन पेपर में क्या है खास
- ऐसे मामलों में, जारीकर्ता को मर्चेंट बैंकर की नियुक्ति करना चाहिए जो निजी तौर पर रखे गए NCDs या NCRPS जारी करने और प्राइवेट प्लेसमेंट मेमोरंडम में खुलासे के लिए सही कार्रवाई करेगा.
- NCDs या NCRPS साधारण स्ट्रक्चर के ब्याज/डिविडेंड वाले निवेश इंस्ट्रूमेंट्स होने चाहिए और क्रेडिट बढ़ाने वाले या स्ट्रक्चर्ड जिम्मेदारियों के साथ वित्तीय जोखिम करने वाले होने चाहिए.
नॉन-इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स कर रहे एनसीडी को ज्यादा सब्सक्राइब
सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के पेपर में जानकारी दी गई है कि गैर-संस्थागत निवेशकों के एनसीडी को सब्सक्राइब करने की दर में सुधार हुआ है. जुलाई से सितंबर 2023 के दौरान जुटाई गई कुल रकम का 4 फीसदी गैर-संस्थागत निवेशकों ने सब्सक्राइब किया, जबकि जनरल औसत 1 फीसदी से कम था. दरअसल अक्टूबर 2022 में फेस वैल्यू को 10 लाख रुपये से घटाकर एक लाख रुपये किया गया था. वहीं ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म (ओबीपी) को मेनस्ट्रीम में लाया गया था जिसके बाद ये बदलाव देखे गए.
NCD है क्या और कैसे दिलाती है 8-10 फीसदी का ब्याज
- कंपनियां आईपीओ के जरिए पैसे जुटाने के साथ एनसीडी से भी पैसे जुटा सकती हैं.
- कंपनी को जब NCD के जरिए पैसा जुटाना होता है तो वो इसे कर्ज (Debt) की तरह लेती हैं.
- एनसीडी के जरिए जुटाए कर्ज पर कंपनी को ब्याज चुकाना होता है.
- NCD की फिक्स्ड मैच्योरिटी डेट होती है और इसमें पैसा लगाने वाले इंवेस्टर्स को एक निश्चित ब्याज दर के साथ रिटर्न मिलता है.
- इसे ऐसे समझें कि कंपनी ने NCD जारी की जिसमें आप निवेश करते हैं. आपका जो पैसा इसमें लगता है उस पर कंपनी तय रेट पर ब्याज देती है.
- कंपनी को पैसे की जरूरत है और वो इसे निवेशकों से जुटा रही है, लिहाजा इस पर ब्याज भी कुछ ज्यादा होता है. आमतौर पर 8 से 10 फीसदी रिटर्न इन एनसीडी पर मिलता है.
- NCD में अलग अलग मैच्योरिटी पीरियड के लिए अलग अलग ब्याज दर तय होती है.
- NCD दो तरह की होती हैं- सिक्योर्ड एनसीडी और अनसिक्योर्ड एनसीडी.
- अगर कंपनी निवेशकों को पैसा पेमेंट नहीं कर पाती है तो सिक्योर्ड एनसीडी में कंपनी के ऐसेट बेचकर इंवेस्टर्स अपना पैसा वसूल सकते हैं.
- अगर कंपनी निवेशकों को उनका पैसा नहीं लौटा पाती है तो अनसिक्योर्ड एनसीडी में निवेशकों को पैसा वापस मिलना मुश्किल होता है.
- सभी एनसीडी एक्सचेंज पर लिस्ट होती हैं तो इंवेस्टर्स या तो कंपनी से डायरेक्ट या सेकेंडरी मार्केट से पैसा लगा सकते हैं.
- पिछले कुछ समय में जारी एनसीडी स्कीमों में निवेशकों को सालाना 8.5-9.5 फीसदी से 10 परसेंट तक का रिटर्न भी मिला है.
- NCD की मैच्योरिटी डेट पहले से तय रहती है जिसमें मंथली, तिमाही, हाफ ईयरली (छमाही) या ईयरली (सालाना) बेस पर मैच्योरिटी के समय एकमुश्त पैसा मिलता है.
- NCD में 10 साल के लिए पैसा लगाया जा सकता है.
- NCD में मिलने वाला ब्याज फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD की तरह ही टैक्सेबल होता है.
इस समय बाजार में खुला हुआ है इस कंपनी का NCD
अर्का फिनकैप लिमिटेड का एनसीडी 7 दिसंबर 2023 को खुल चुका है और 20 दिसंबर 2023 को यह बंद होगा. कंपनी ने 1000-1000 रुपये के सिक्योर्ड, रेटेड, लिस्टेड और रिडीमेबल नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर का पब्लिक इश्यू लॉन्च किया हुआ है. इसको रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने AA-/Positive की रेटिंग दी है जो बेहतर रेटिंग की कैटेगरी में आता है. इसको 2 साल (24 महीने), 3 साल (36 महीने) और 5 साल (60 महीने) के टेन्योर के लिए लॉन्च किया गया है और BSE पर इसे लिस्ट करने का प्रस्ताव है. खास बात है इसका ब्याज जो कंपनी ने 9 से 10 फीसदी तक रखा है. ये रेट ऑफ इंटरेस्ट तिमाही और सालाना आधार पर दिया जाएगा. एनसीडी के इश्यू के लीड मैनेजर जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड और नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट लिमिटेड हैं. नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट को पहले एडलवाइस सिक्योरिटीज के नाम से जाना जाता था.
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