Adani-Hindenberg Issue: शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अर्जी लगाई है जिसमें सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के आरोपों की जांच के लिए छह महीने का और समय मांगा है. 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को आरोपों पर जांच के आदेश दिए थे जिसमें दो महीने में जांच को पूरा करना आदेश दिया गया था. लेकिन अब सेबी कोर्ट से जांच को पूरा करना के लिए ज्यादा समय मांग रही है. 


अपने अर्जी में सेबी ने कोर्ट को बताया कि हिंडनबर्ग के आरोपों के मुताबिक 12 ऐसे संदिग्ध ट्रांजैक्शन हैं  जिनकी जांच के लिए 15 महीने के समय की दरकार होगी. क्योंकि ये ट्रांजैक्शन बेहद जटिल होने के साथ ही इसमें कई सब-ट्रांजैक्शन भी मौजूद है. सेबी के मुताबिक जांच के दौरान कई घेरलू और विदेशी बैंकों से वित्तीय ट्रांजैक्शन के स्टेटमेंट की जरुरत होगी. 10 वर्ष से पुराने बैंक स्टेटमेंट की भी जरुरत होगी जिसे हासिल करने में वक्त लगेगा साथ ही ये चुनौतिपूर्ण भी है. सेबी का कहना है कि उसकी कोशिश होगी कि जांच को छह महीने में पूरा कर लिया जाये. पर सवाल उठता है कि क्या सर्वोच्च न्यायालय सेबी को ये समय देता है नहीं.


2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज एएम सप्रे की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट का भी गठन किया था जो अडानी मामले के सामने आने के बाद सेबी के रेग्युलेशनों को मजबूत किए जाने पर अपनी सिफारिशें देगा. सेबी ने कोर्ट को बताया कि उसने अब तक की जांच की अंतरिम स्टेटस कमिटी के साथ शेयर किया है. 


आपको बता दें अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिका दायर की गई थी. जिसमें एक याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने दायर किया था जिसमें हिंडनबर्ग के आरोपों पर जांच की मांग की गई थी. दूसरी याचिका काग्रेस नेता जया ठाकुर और तीसरी याचिका एम एल शर्मा ने दायर की थी.  


अमेरिका के हिंडेनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी 2023 को जारी किए गए रिपोर्ट में कहा था कि अडानी समूह के स्टॉक्स अपनी उचित वैल्यूएशन से 85 फीसदी महंगा है.  हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में समूह पर मार्केट मैनुपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का भी आरोप लगाया है. इन आरोपों के बाद अडानी समूह के स्टॉक्स 85 फीसदी तक गिर गए थे. समूह की कंपनियों का मार्कैट कैप 19 लाख करोड़ से घटकर 7 लाख करोड़ रुपये के करीब घट गया. यानि मार्केट कैप में 12 लाख करोड़ रुपये की कमी गई गई. समूह को अडानी एंटरप्राइजेज के 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ को भी वापस लेना पड़ा था.   


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