SEBI: आईपीओ से खूब मुनाफा कमा रहे छोटे निवेशक, एक हफ्ते में ही बेच दे रहे शेयर
IPO Market: सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पॉजिटिव लिस्टिंग के एक हफ्ते के अंदर ही रिटेल इनवेस्टर्स धड़ाधड़ शेयर बेचने लग जाते हैं. एंकर निवेशकों को लॉक इन पीरियड के चलते इंतजार करना पड़ता है.
IPO Market: साल 2023 से ही शेयर मार्केट पर आईपीओ के आने का सिलसिला तेजी से बढ़ता जा रहा है. इससे कंपनियों के साथ ही निवेशकों को भी जबरदस्त फायदा होता है. अब मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) की एक रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि 50 फीसदी से ज्यादा रिटेल निवेशक लिस्टिंग के एक हफ्ते के अंदर ही आईपीओ में अलॉट हुए शेयर बेचकर मुनाफा कमा ले रहे हैं. ये लॉन्ग टर्म का निवेश नहीं कर रहे हैं.
पॉजिटिव लिस्टिंग पर 54 फीसदी एक हफ्ते में बेच देते हैं शेयर
सेबी ने सोमवार को आई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल, 2021 से दिसंबर, 2023 के बीच आए 144 मेनबोर्ड आईपीओ के डेटा के अनुसार, आईपीओ लिस्टिंग के बाद शेयरों की जबरदस्त बिक्री बढ़ी है. पॉजिटिव लिस्टिंग के एक हफ्ते में ही लगभग 54 फीसदी इनवेस्टर अपने हिस्से के शेयर बेच दे रहे हैं. उधर, एंकर निवेशकों को लॉक इन पीरियड की वजह से लंबे समय तक अपने शेयर होल्ड करने पड़ते हैं. इंडिविजुअल इनवेस्टर्स ने लिस्टिंग के एक सप्ताह के भीतर उन्हें मिले 50.2 फीसदी शेयर बेच दिए. नॉन इंस्टीटूशनल इनवेस्टर्स (NII) ने वैल्यू के हिसाब से 63.3 फीसदी शेयर बेचे. रिटेल इनवेस्टर्स ने 42.7 फीसदी शेयर बेचे हैं. इंडिविजुअल इनवेस्टर्स एक साल के अंदर अपने 70 फीसदी शेयर बेच देते हैं.
20 फीसदी से ज्यादा फायदा होते ही धड़ाधड़ बिकते हैं शेयर
सेबी के अनुसार, इंडिविजुअल इनवेस्टर्स के बीच फ्लिपिंग ट्रेंड देखने को मिला है. आईपीओ के जरिए मिलने वाले ज्यादा रिटर्न की वजह से डीमैट अकाउंट की संख्या भी बढ़ी है. कोविड महामारी के बाद काफी संख्या में डीमैट अकाउंट खोले गए हैं. निवेशकों में आईपीओ में मिले शेयरों को जल्दी बेचने की चाहत दिखाई दी है. इसमें कहा गया है कि आईपीओ रिटर्न अगर 20 फीसदी से ज्यादा हो गया तो इंडिविजुअल इनवेस्टर्स ने एक हफ्ते के अंदर ही 67.6 फीसदी शेयर बेच दिए. अगर रिटर्न नेगेटिव होने पर केवल 23.3 फीसदी शेयर बेचे गए.
एनआईआई निवेशकों की एप्लीकेशन में आई भारी गिरावट
सेबी द्वारा अप्रैल, 2022 में एनआईआई शेयर अलॉटमेंट प्रोसेस में बदलाव किए थे. साथ हीरिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी एनबीएफसी (NBFC) द्वारा आईपीओ की फाइनेंसिंग के नियमों में बदलाव किया था. इसके बाद एनआईआई कैटेगरी में ओवरसब्सक्रिप्शन 38 गुना से घटकर 17 गुना रह गया है. साथ ही बड़े एनआईआई निवेशकों की एप्लीकेशन में भी भारी गिरावट आई है. आईपीओ में 1 करोड़ रुपये से अधिक के लिए अप्लाई करने वाले एनआईआई की औसत संख्या 626 प्रति आईपीओ से घटकर लगभग 20 प्रति आईपीओ पर आ गई है.
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