SEBI New Rules for MF: बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के मकसद से म्यूचुअल फंड के ट्रस्टीज के लिये किसी स्कीम को बंद करने का फैसला करते समय यूनिटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य कर दिया है. उन्हें वैसे समय यूनिटधारकों से सहमति लेने की जरूरत होगी जब ट्रस्टीज बहुमत के आधार पर किसी योजना को बंद करने का निर्णय करते हैं.


क्या हैं नए नियम 
नये नियमों के तहत म्यूचुअल फंड ट्रस्टीज को उस समय बहुसंख्यक यूनिटधारकों की सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता होगी, जब अधिकतर न्यासी किसी योजना को बंद करने या तय समय वाली योजना (क्लोज-एंडेड योजना) के यूनिट को समय से पहले भुनाने का निर्णय करते हैं.


सेबी ने जारी किया नोटिफिकेशन
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को एक अधिसूचना में कहा कि ट्रस्टीज को प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर उपस्थित और मतदान करने वाले यूनिटधारकों के साधारण बहुमत से सहमति प्राप्त करनी होगी. योजना बंद करने की परिस्थिति को लेकर नोटिस के प्रकाशन के 45 दिनों के भीतर मतदान का परिणाम प्रकाशित करना होगा.


सेबी ने कहा कि यदि ट्रस्टी सहमति प्राप्त करने में विफल रहते हैं, संबंधित योजना मतदान के परिणाम के प्रकाशन के बाद दूसरे कारोबारी दिन से लेन-देन गतिविधियों के लिए खुली रहेगी.


सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में किया संशोधन
सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन करते हुए कहा कि न्यासी निर्णय के एक दिन के भीतर नियामक को नोटिस देंगे. नोटिस में उन परिस्थितियों का ब्योरा होगा, जिसके कारण योजना को बंद करने का निर्णय किया गया. साथ ही अखिल भारतीय स्तर के दो दैनिक अखबारों और उस जगह पर क्षेत्रीय भाषा में छपने वाले अखबार में इसकी जानकारी देनी होगी, जहां म्यूचुअल फंड का गठन हुआ.


जुलाई में फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड का मामला सामने आया
सेबी का नियमों में संशोधन करने का फैसला जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है. न्यायालय ने फैसले में कहा था कि ट्रस्टीज को योजनाओं को बंद करने के अपने फैसले के कारणों का खुलासा करने के लिए नोटिस प्रकाशित करने के बाद इस बारे में बहुसंख्यक यूनिटधारकों की सहमति लेने की आवश्यकता होगी. कोर्ट का ये फैसला फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड की छह योजनाओं को बंद करने के मामले में आया था.


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