SEBI IPO Rules: शेयर बाजार की रेग्युलेटर सेबी (SEBI) IPO के लिस्टिंग के नियमों में बड़ा बदलान करने जा रही है. सेबी के प्रस्ताव के मुताबिक IPO के जरिये जुटाये गये रकम को कंपनियां किस प्रकार खर्च करती हैं और लिस्टिंग के बाद बड़े निवेशक कितनी जल्दी शेयर बेचकर बाहर निकलते हैं इसे लेकर सख्ती की जाएगी जिससे छोटे निवेशकों के हितों का ख्याल रखा जा सके. आईपीओ की लिस्टिंग के बाद Anchor Investors के लिये शेयर बेचने के लिये लॉक इन पीरियड को बढ़ाने का भी सेबी ने प्रस्ताव दिया है. 


सेबी ने प्रस्ताव रखा है और इस पर स्टेकहोल्डरों से सुझाव मांगा है. 30 नवंबर तक सुझाव देने की आखिरी तारीख हैं. सेबी ये प्रस्ताव तब लेकर आया है जब बाजार में एक के बाद एक नए आईपीओ आ रहे हैं. 


सेबी ने जिन प्रस्तावों पर लोगों से सुझाव मांगा है वो इस प्रकार हैं: 


- आईपीओ से जुटाये गये रकम को inorganic growth initiatives और कंपनी के दूसरे खर्चों पर खर्च करना होगा.  


- टेक्नोलॉजी क्षेत्र से जुड़ी कंपनी जो पैसा जुटाती है वो नए बाजार में प्रवेश करने, नए कस्टमर्स बनाने और दूसरी कंपनियों के अधिग्रहण पर खर्च करती हैं. इससे निवेशकों के निवेश पर अस्थिरता बनी रहती है. 


- जिन कंपनियों के आईपीओ में कोई नामित प्रोमोटर नहीं है, उन कंपनियों के शेयरघारक 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं बेच सकते. जिस निवेशक के पास 20 फीसदी से ज्यादा कंपनी में होल्डिंग है उसे प्रमुख शेयरधारक माना जाएगा. 


- ऐसे शेयरधारकों पर आईपीओ के छह महीने तक उनका शेयर लॉक इन पीरियड में रहेगा. जिससे वे अपनी हिस्सेदारी ना बेच सकें. ये नियम वेंचर कैपिटल फंड, 
alternate investment funds पर लागू होगा.  


- किसी भी आईपीओ में 50 फीसदी एंकर निवेशक वहीं कहलाये जायेंगे जो 90 दिनों शेयर नहीं बेचेंगे. फिलहाल ये नियम केवल 30 दिनों के लिये है. 



सेबी की तरफ से इन नियमों का बनाने का प्रस्ताव तब आया है जब रिजर्व बैंक ने 1 अप्रैल से नए शेयरों की लिस्टिंग में कर्ज लेकर निवेश की सीमा को 1 करोड़ रुपये कर दिया है. 


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