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तारीख 20 मई, साल 1985...,धीरूभाई अंबानी को जमीन पर बैठकर सुन रहे थे रिलायंस के शेयर खरीदने वाले लोग

रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की उन चुनिंदा कंपनियों में से जिसके एजीएम की चर्चा पूरे देश में होती है और इसका पूरा श्रेय रिलायंस के संस्थापक धीरूभाई अंबानी को जाता है.

28 अगस्त 2023 यानी आज रिलायंस इंडस्ट्रीज की 46वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) होने वाली है. रिलायंस इंडस्ट्रीज की एजीएम में कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपने शेयरधारकों के साथ वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे. यह बैठक इसलिए भी खास है क्योंकि इस मीटिंग में स्टेकहोल्डर्स और इन्वेस्टर्स को काफी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी. 

बाजार को उम्मीद है कि इस एजीएम में रिलायंस इंडस्ट्रीज चेयरमैन मुकेश अंबानी टेलीकॉम और रिटेल बिजनेस के आईपीओ की समय सीमा से जुड़े कई घोषणाएं कर सकते हैं. इन घोषणाओं में 5 जी से लेकर ग्रीन एनर्जी तक कई बड़ी योजनाओं का ऐलान शामिल हो सकता है और इसका असर स्टॉक से लेकर पूरे बाजार पर देखने को मिल सकता है. 

रिलायंस देश की उन चुनिंदा कंपनियों में से सलाना बैठक की चर्चा पूरे देश में होती है और इसका पूरा श्रेय रिलायंस के संस्थापक धीरूभाई अंबानी को जाता है. ऐसे में इस स्टोरी में हम जानेंगे कि कौन  हैं रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी और उन्होंने कैसे इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया.

कौन हैं धीरूभाई अंबानी 

अपने बल पर रिलायंस इंडस्ट्रीज खड़ी करने वाले धीरूभाई अंबानी एक ऐसे भारतीय उद्योगपति हैं जिनकी कहानी एक छोटे व्यापारी बनने से शुरू होती है और कुछ ही सालों में वह दुनिया के बड़े बिजनेसमैन की लिस्ट में शामिल हो जाते हैं. 

धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ में हुआ था. अंबानी के पिता शिक्षक थे और वह चार भाई-बहन थे. भले ही रिलायंस इंडस्ट्री आज भारत के चुनिंदा टॉप कंपनियों में से एक है लेकिन धीरूभाई अंबानी की शुरुआती जीवन काफी परेशानियों भरा रहा. घर में कमाने वाला एक शख्स होने के कारण उनके परिवार को हमेशा ही आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता था और यही कारण है कि धीरूभाई अंबानी को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी. 

300 रुपये महीने पर करते थे काम 

बिजनेस की दुनिया में कदम रखने से पहले धीरुभाई के पास न तो बड़ा नाम था, न पैसे और न ही सही राह दिखाने वाला कोई. घर की आर्थिक हालत को देखते हुए साल 1949 में धीरु अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए. उस वक्त उनकी उम्र केवल 17 साल की थी. यमन पहुंचकर उन्होंने ए बस्सी एंड कंपनी के एक पेट्रोल पंप पर नौकरी की जहां हर महीने उन्हें 300 मिलने लगे. धीरुभाई अपने काम में इतने माहिर थे कि उन्हें जल्द ही फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया गया. 

पांच साल तक यमन में रहने के बाद साल 1954 में धीरू भारत आ गए. भारत आने के बाद धीरू नौकरी नहीं करना चाहते थे. उन्हें तो इतिहास रचना था. यही कारण है कि उन्होंने मेहनत का दामन कभी नहीं छोड़ा और ऐसा मुकाम हासिल किया कि 62,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक बन गए. 

कैसे की पहली कंपनी की शुरुआत 

यमन से लौटने के बाद धीरूभाई ने भारत के बाजार के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी और उन्हें समझ आया कि भारत में भारत में सबसे ज्यादा मांग पोलिस्टर की है और विदेशों में भारतीय मसालों की. तब उन्होंने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की मदद से रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी बनाई.

कंपनी की शुरुआत में उनके पास ऑफिस के नाम पर मुंबई में सिर्फ 350 वर्ग फुट का एक कमरा, एक मेज, तीन कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलीफोन था. यह कंपनी भारत के मसाले विदेश में बेचने का काम करने लगी. साथ ही साथ विदेश का पॉलिस्टर भारत में लाया जाता था. 

मसाले के निर्यात में मुनाफा होने के बाद उन्होंने अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाते हुए अपना ध्यान सिंथेटिक कपड़ों की ओर लगाया. धीरू भाई ने साल 1966 में रिलायंस टेक्सटाइल' के नाम से गुजरात के अहमदाबाद में एक कपड़ा मिल की शुरुआत की थी और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरू ने अपने बिजनेस में मुनाफे से ज्यादा सामान और उसकी बेहतर क्वालिटी  पर ध्यान दिया था. 

 

 

2014 से लेकर 2022 तक रिलायंस इंडस्ट्रीज बाजार पूंजीकरण कैसे बढ़ा

Statistic: Market capitalization value of Reliance Industries Limited from financial year 2014 to 2022 (in billion Indian rupees) | Statista
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कंपनी ने बेचे अपने शेयर 

साल 1977 में देश के बैंकों ने लोन देने से मना कर दिया था जिसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी को शेयर बाजार में लिस्ट कर दिया. जिसका मतलब है कि उन्होंने अपनी कंपनी के शेयर बेचने शुरू कर दिए. अंबानी ने पहले ही यह परख लिया था कि अगर बाजार में लंबे समय तक टिकना है तो कंपनी को उनके स्टेकहोल्डर्स का विश्वास जितना ही होगा.  

यही कारण है कि कंपनी ने अपने इन्वेस्टर्स में विश्वास पैदा करना शुरू कर दिया था और जब साल 1977 में रिलायंस टेक्सटाइल का आईपीओ शेयर बाजार में आया तो यह ओवरसब्सक्राइब्ड हो गया मतलब इसको जमकर खरीदा गया.

रिलायंस पहली भारतीय कंपनी बनी जिसमें औसत इन्वेस्टर भी शेयर खरीद सकते थे. इसके बाद से ही इस कंपनी ने हर साल एजीएम का आयोजन करना शुरू किया. इस आयोजन में रिलायंस के आम इन्वेस्टर्स को बुलाया जाता था. इसी आयोजन में धीरूभाई अंबानी खुलकर कंपनी की भविष्य योजनाएं निवेशकों के सामने रखने लगे.

1980 के दशक में एजीएम का आयोजन बॉम्बे के कूपरेज ग्राउंड में किया जाता था. जहां अंबानी की अपनी कंपनी के विजन को छोटे निवेशकों के सामने रखते थे. संस्थागत निवेशक की तुलना में छोटे निवेशकों से जुटाया गया धन ही अंबानी की सबसे बड़ी ताकत बनी.

एजीएम में 12,000 शेयरधारकों ने लिया था भाग 

धीरूभाई अंबानी की जिंदगी पर लिखी एक किताब "द पॉलीस्टर प्रिंस" में बताया गया है कि धीरूभाई अंबानी की लोकप्रियता 20 मई 1985 को चरम पर पहुंच गई थी. उस वक्त रिलायंस की तरफ से बॉम्बे के कूपरेज ग्राउंड को किराए पर लिया गया था. जहां हुई पहली मीटिंग में लगभग 12,000 स्टेक होल्डर पहुंचे थे. भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि कई निवेशक तो जमीन पर बैठे हुए थे. 

इस बैठक को भारत में शेयरधारकों की अब तक की सबसे बड़ी मीटिंग मानी जाती है. इस मीटिंग में अंबानी ने बताया कि साल 1984 में रिलायंस कंपनी के मुनाफे में 58.6 प्रतिशत की बढ़त हुई है. इसी मीटिंग में रिलायंस ने अपनी कंपनी के नाम के आगे से टेक्सटाइल नाम हटाने को लेकर भी मंजूरी भी ली और तब से लेकर अब तक रिलायंस के एजीएम का भी सिलसिला जारी है.

धीरूभाई अंबानी के तीन बच्चे

धीरूभाई अंबानी ने साल 1955 में कोकिलाबेन संग विवाह रचाया था. जिससे उनके चार बच्चे मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, दीप्ति सालगांवकर और नीना कोठारी हैं. मुकेश और अनिल अंबानी का नाम हर वक्त सुर्खियों में रहता है, लेकिन दूसरी तरफ दीप्ति और नीना दोनों ही लाइमलाइट से कोसों दूर रहती हैं.

मुकेश अंबानी के दौर में रिलायंस की एजीएम

अब धीरूभाई अंबानी के बाद रिलायंस का कार्यभार मुकेश अंबानी संभाल रहे हैं. मुकेश अंबानी के चेयरमैन रहते हुए भी एजीएम की चमक ठीक उसी तरह बरकरार है. इन्हीं एजीएम में जियो 5G, जियो फाइबर जैसे प्रोडक्ट्स लॉन्च किए जा चुके हैं. 

जियो फाइनेंशियल सर्विसेज की लिस्टिंग के बाद पहली एजीएम

बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज से अलग हुई जियो फाइनेंशियल सर्विसेज की लिस्टिंग के बाद ये आरआईएल की पहली एजीएम है. हालांकि कंपनी की स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टिंग निवेशकों की आशा के मुताबिक नहीं हुई जिससे निवेशकों को इस विषय पर किसी खास टिप्पणी की मुकेश अंबानी से उम्मीद नहीं है. 

कंपनी के कारोबारों को लेकर क्या विजन रहेगा- इस पर सबकी नजरें

मुकेश अंबानी अपने रिटेल, एनर्जी, टेलीकॉम बिजनेस के साथ साथ रियल एस्टेट कारोबार के लिए कोई अनुमान देते हैं तो खास तौर पर शेयरधारकों के लिए उत्साह का माहौल हो सकता है. गौरतलब है कि पिछले साल आरआईएल की 45वीं एजीएम में मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 5 सालों में दोगुना करने का अनुमान दिया था. इसके लिए क्या वो आरआईएल के कुछ और कारोबारों जैसे रिलायंस रिटेल और जियो के टेलीकॉम बिजनेस को लिस्ट कराने से जुड़ा कुछ विजन दिखाते हैं- इस पर सभी की नजरें बनी रहेंगी.

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