भारतीय बाजार में लगातार बिकवाली का दौर चल रहा है. बाजार में जिस तरह से गिरावट आ रही है उससे साफ है कि इस पर बिकवाली का जबरदस्त दबाव है. ऐसे में निवेशकों को क्या करना चाहिए? क्या उन्हें यह समझना चाहिए बिकवाली का दौर है. शेयरों के दाम गिरे हैं और उन्हें सस्ते में खरीद कर आगे प्रॉफिट बुकिंग के बारे में सोचना चाहिए या फिर उन्हें बाजार में उतरने से बचना चाहिए? यह फैसला उतना आसान नहीं है. क्योंकि निवेशकों को अपना निवेश बचाने लिए लगातार जूझते रहना पड़ता है.


कोरोना संक्रमण के नए दौर से बाजार के सेंटिमेंट को झटका


दरअसल कोरोना संक्रमण के नए मामलों और महाराष्ट्र समेत कुछ राज्यों में लॉकडाउन लगाने की नौबत आने से आर्थिक गतिविधियों को दोबारा झटका लगने की आशंका पैदा हो गई है. इस वजह से गुरुवार को लगातार भारतीय शेयर बाजारों में दूसरे दिन गिरावट देखी गई. गुरुवार को सेंसेक्स 1.51 फीसदी टूट कर 48,440.12 पर बंद हुआ वहीं निफ्टी 1.54 फिसल कर 13,324.90 पर पहुंच गया. विश्लेषकों का कहना है कि ग्लोबल बाजार का भारतीय बाजार पर असर पड़ा है. लेकिन भारतीय बाजार पर ग्लोबल मार्केट की तुलना में ज्यादा असर है.


इस माहौल में क्या करें निवेशक ?


विश्लेषकों के मुताबिक टेक्निकल वजहों से भी बिकवाली हो रही है. 31 मार्च नजदीक है. साथ ही 14 अप्रैल तक कई दिन बैंकों की छुटटी रहेगी . इस वजह से भी मार्केट में नया पैसा नहीं आ रहा है. बिकवाली एक वजह यह भी है. जब मार्केट में नया निवेश होगा तो 8 या 10 अप्रैल से तेजी आ सकती है. लेकिन यह शॉर्ट कवरिंग होगी. इस चक्कर में निवेशक बगैर सोचे-समझे बाजार में पैसा लगाने से बचें. बाजार में लगातार बिकवाली दिख रही है. बाजार 14,300 से नीचे दो-तीन बार नीचे आया है. ऐसे में खरीदारी से बचना चाहिए.


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