नई दिल्लीः अर्थव्यवस्था की नब्ज समझे जाने वाले बांबे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक यानी सेंसेक्स पहली बार 30 हजार औऱ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का 50 शेयरों वाला निफ्टी 9350 के ऊपर बंद हुआ है. अब कारोबारियों का लगता है कि बाजार में आने वाले दिनों में और भी तेजी रहेगी.
बुधवार को बीएसई सेंसेक्स 190 प्वाइंट की तेजी के साथ 30,133 और निफ्टी 45 प्वाइंट ऊपर 9351 पर बंद हुए. बाजार में तेजी की कई वजह रही. एक, रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों के उम्मीद से बेहतर नतीजे. अमेरिका में टैक्स सुधारों से पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में तेजी जिसका फायदा भारतीय बाजारों को मिला, तीन, फ्रांस के चुनावी नतीजों से वैश्विक अनिश्चितता में कमी आयी है और चार, हर स्तर पर घरेलू चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की भारी जीत से सुधार की रफ्तार तेज होने की उम्मीद बंधी है.
तेजी का माहौल बनाने में रुपये की भी अहम हिस्सेदारी रही. वैसे बुधवार को कारोबार के दौरान एक डॉलर की कीमत 64 रुपये से भी नीचे चली गयी थी, लेकिन बाद में स्थिति थोड़ी बदली और अंत में एक डॉलर की कीमत 64 रुपये 12 पैसे रही. मंगलवार के मुकाबले इसमे करीब 16 पैसे का सुधार है. डॉलर के मुकाबले रुपये का ये 20 महीने में सबसे ऊंचा स्तर है.
तेजी के इस माहौल में निवेशकों को क्या करना चाहिए. आम तौर पर भारतीय शेयर बाजारों में तेजी के समय लोग नया निवेश करते हैं और गिरावट के दौरान बिकवाली. नतीजा, लोगों के हाथ ही जलते हैं जिसकी वजह से शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या काफी कम है. होना ये चाहिए कि जब कभी भी बाजार में तेज गिरावट आये तो लोगों को नया निवेश करना चाहिए, क्योंकि निचली कीमत पर बेहतर कंपनियों के शेयर मिल जाते है और जब कभी भी तेजी आए तो मुनाफावसूली करके निकल जाना चाहिए.
चूंकि शेयर बाजार को समझना हर किसी के लिए बेहद आसान नहीं होता. इसीलिए जानकारों की राय है कि ऐसे लोगों को म्यूचुअल फंड के रास्ते शेयर बाजार में आना चाहिए. म्यूचुअल फंड सबसे पहले तो किसी एक शेयर नहीं, बल्कि शेयरों के समूह में पैसा लगाता है जिससे जोखिम बंट जाता है. दूसरी ओर निवेश का फैसला विशेष रुप से प्रशिक्षित फंड मैनेजर करते हैं. इन सब के बाद भी मत भूलिए कि म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना जोखिम का काम है, ऐसे में पूरी तरह से सोच-समझकर और फंड के कामकाज का आंकलन करने के बाद ही पैसा लगाना चाहिए.