नई दिल्लीः सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन (इंडस्ट्रियल प्रोडक्श्न) में 4.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गयी जो चार महीने में इसका निचला स्तर है. मुख्य रूप से माइनिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन और पूंजीगत सामान के कमजोर उठाव से औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर पर असर पड़ा.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा सोमवार को जारी आंकड़े के अनुसार इस साल अगस्त महीने में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन बढ़ोतरी के आंकड़े को संशोधित कर 4.6 फीसदी किया गया है. शुरुआती आंकड़ों में इसे 4.3 फीसदी बताया गया था. इस साल जून और जुलाई में आईआईपी में क्रमश: 6.9 फीसदी और 6.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. इससे पहले इस साल मई में औद्योगिक उत्पादन में 3.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.
माइनिंग सेक्टर
माइनिंग सेक्टर में उत्पादन में सितंबर में 0.2 फीसदी की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी महीने में 7.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. इसी तरह सितंबर महीने में कैपिटल गुड्स की उत्पादन वृद्धि धीमी हो कर 5.8 फीसदी रही. पिछले साल इसी महीने में इस क्षेत्र की विकास दर 8.7 फीसदी थी.
हालांकि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर सितंबर महीने में 4.6 फीसदी रही जो एक साल पहले इसी महीने 3.8 फीसदी थी. बिजली उत्पादन की विकास दर भी सुधरकर सितंबर महीने में 8.2 फीसदी रही जो एक साल पहले इसी महीने 3.4 फीसदी थी.
उद्योग के संदर्भ में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के 23 औद्योगिक समूह में से 17 में पिछले साल की तुलना में उत्पादन में बढोतरी रही. आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-सितंबर 2018 के दौरान आईआईपी विकास दर 5.1 फीसदी रही. इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 2.6 फीसदी थी.