देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार में तेजी नहीं आ रही है. अब सर्विस सेक्टर की रफ्तार धीमी पड़ने लगी है. कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से आर्थिक गतिविधियों को लगे झटके ने इसकी रफ्तार धीमी कर दी है. आर्थिक रिकवरी ने थोड़ी रफ्तार पकड़ी है लेकिन कोरोनावायरस की वजह से आई मंदी में नरमी नहीं आई है. भारतीय अर्थव्यवस्था में सर्विस सेक्टर की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, लिहाजा इसकी धीमी रफ्तार की वजह से अर्थव्यवस्था के प्री-कोविड लेवल तक आने की संभावना और दूर हो गई है.
सर्विस पीएमआई में लगातार गिरावट
ताजा आंकड़ों से इसकी पुष्टि हो रही है. दिसबंर में निक्केई/आईएचएस मार्किट सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई. नवंबर में यह इंडेक्स 53.7 पर था लेकिन दिसंबर में यह गिर कर 52.3 पर आ गया. यह तीसरा महीना है जब लगातार सर्विसेज पीएमआई में गिरावट आई है. आईएचएस मार्किट की इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि यह अच्छी खबर है कि दिसंबर में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ बरकरार रही लेकिन इसके ग्रोथ ने मूमेंटम खो दिया है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के मामलों के चलते सर्विस देने वाली कंपनियों को नए काम के ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं. इससे उनके कारोबार पर असर पड़ा और व्यापार में अनिश्चितता बढ़ गई.
कारोबार पर असर ने नौकरियों पर लगाई रोक
नए ऑर्डर न मिलने और कोविड-19 की वजह से सर्विस गतिविधियों में रुकावट ने कंपनियों की सेल्स ग्रोथ भी घट गई है. इसका सीधा असर ग्रोथ पर पड़ा है.कारोबार कमजोर रहने से नियुक्तियां रुक गई हैं. सर्वे के मुताबिक लिक्विडिटी की समस्या, श्रमिकों की कमी और मांग घटने से भर्तियों पर रोक लगा दी गई है.
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