रूसी तेल कंपनी Rosneftऔर सऊदी अरामको भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन यानी BPCL के निजीकरण की कोशिश का हिस्सा नहीं बनेंगी. तेल की गिरती कीमतों और मांग में कमी की वजह से दोनों कंपनियां अब इसमें हिस्सेदारी नहीं खरीदेंगी.Rosneft ने BPCL की 53.92 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. फरवरी में जब इसके सीईओ ईगोर सेशिन भारत आए थे उन्होंने इसका इरादा जताया था. हालांकि भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि सऊदी अरामको BPCLमें हिस्सेदारी खरीदने के लिए तैयार है. हालांकि अरामको की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है.
Rosneft की दिलचस्पी सिर्फ बीपीसीएल के मार्केटिंग बिजनेस में
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने Rosneft के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि यह अब बीपीसीएल में हिस्सेदारी नहीं खरीदेगी. हालांकि एक दूसरे सूत्र के मुताबिक इस कंपनी की दिलचस्पी सिर्फ बीपीसीएल के मार्केटिंग बिजनेस में है. बीपीसीएल के कई तेल डिपो और 16,800 फ्यूल स्टेशन हैं.सरकार बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेच कर 600 से 700 अरब रुपये जुटाना चाहती है. लेकिन पिछले एक साल में बीपीसीएल के शेयर 30 फीसदी गिर चुके हैं.
तेल के दाम और मांग में कमी से विनिवेश को झटका
अरामको से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि इस वक्त ऑयल रिफाइनिंग में निवेश करना ठीक नहीं क्योंकि अभी सिर्फ तेल और केमिकल की ही मांग होगी, दूसरे पंरापरागत प्रोडक्ट की नहीं. अरामको ने जुलाई में बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीदने की बातचीत शुरू की थी, लेकिन कंपनी शुरुआती दिलचस्पी दिखाने के बाद औपचारिक तौर पर कोई प्रस्ताव नहीं दिया. एक अन्य सूत्र का कहना है अरामको ने भारत से जुड़ी सभी निवेश परियोजनाओं को अभी रोक दिया है. चूंकि तेल की कीमतें और मांग दोनों गिर रही है इसलिए कंपनी बीपीसीएल में निवेश नहीं करेगी.
केरल बीपीसीएल रिफाइनरी में विनिवेश को दे सकता है चुनौती
सूत्रों का कहना है कि न तो Rosneft और न ही अरामको की बीपीसीएल की रिफाइनरी में निवेश में ज्यादा दिलचस्पी है क्योंकि इसकी एक रिफाइनरी केरल में है.केरल सरकार इसके निजीकरण को अदालत में चुनौती दे सकती है. दो अन्य रिफाइनरियां शहरों में हैं इसलिए इनके विस्तार की गुंजाइश नहीं बन रही है.
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