राज्यों को केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड के सेटलमेंट से जुड़े नियम अब बदलने जा रहे हैं. नए नियमों के प्रभावी होने के बाद केंद्र के द्वारा भेजे गए फंड में से खर्च नहीं हो पाई राशि का रियलटाइम सेटलमेंट होगा. यह व्यवस्था नए वित्त वर्ष की शुरुआत से यानी 1 अप्रैल 2024 से प्रभावी हो रही है.
इस तारीख से होने वाला है बदलाव
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के द्वारा राज्यों को भेजे जाने वाले फंड में जो हिस्सा खर्च नहीं हो पाएगा, उसका सेटलमेंट 1 अप्रैल से सिंगल नोडल एजेंसी के जरिए एक ही दिन में होगा. अभी इसमें ज्यादा समय लग जाता है, क्योंकि इनका सेटलमेंट डेली बेसिस पर नहीं होता है. ऐसे फंड को 24 घंटे से ज्यादा समय के लिए सरकारी खाते से बाहर रखना पड़ जाता है. रियलटाइम सेटलमेंट होने पर यह जरूरत भी खत्म हो जाएगी.
क्या है सिंगल नोडल एजेंसी अकाउंट?
ऐसी कई सारी योजनाएं हैं, जिन्हें लागू तो राज्य सरकार के माध्यम से किया जाता है, लेकिन उनके लिए फंड केंद्र सरकार मुहैया कराती है. सेंटर से स्पॉन्सर्ड ऐसी योजनाओं व प्रोग्राम के लिए राज्यों को सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) अकाउंट के जरिए केंद्र से पैसे प्राप्त होते हैं. केंद्र से आने वाले ऐसे फंड को खर्च करने की समयसीमा पहले से तय होती है.
मासिक या तिमाही आधार पर अभी सेटलमेंट
तय समयसीमा में फंड का जो हिस्सा खर्च नहीं हो पाता है, उसे लैप्स होना कहते हैं और वह हिस्सा वापस केंद्र सरकार के पास लौट जाता है. खर्च नहीं हो पाया हिस्सा सेटलमेंट के बाद केंद्र सरकार के पास लौटता है. इसके लिए अभी सेटलमेंट या तो मासिक आधार पर होता है या तिमाही के आधार पर. अब यह सेटलमेंट रियलटाइम में करने की व्यवस्था की जा रही है, जिसके लिए फाइनेंस मिनिस्ट्री का डिपार्टमेंट और एक्सपेंडिचर और रिजर्व बैंक साथ मिलकर काम कर रहा है.
खत्म होगा ब्याज का विवाद
अभी रिलयटाइम सेटलमेंट नहीं होने के चलते ऐसे फंड को लेकर एक और विवाद खड़ा होता है. उदाहरण के लिए किसी प्रोग्राम के लिए भेजे गए फंड को खर्च करने की समयसीमा समाप्त हो गई. ऐसे में उस फंड को लैप्स तो माना जाएगा, लेकिन वह फंड सेटलमेंट होने तक राज्य के एसएनए अकाउंट में ही पड़ा रहेगा. लैप्स होने से लेकर सेटलमेंट की तारीख तक उस फंड पर मिले ब्याज पर किसका हिस्सा होगा, अभी इसे लेकर कई बार विवाद हो जाता है. रियलटाइम सेटलमेंट से यह विवाद भी समाप्त हो जाएगा.
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