गुरुवार सेंसेक्स 50 हजार के लेवल को छू गया . यह अब तक सबसे ऊंचा स्तर है. जाहिर है इस ऊंचाई के बाद मार्केट में गिरावट का दौर शुरू होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे हालात में निवेशकों को कौन सी स्ट्रेटजी अपनानी चाहिए. क्या उन्हें मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए. यानी क्या उन्हें ऊंची दरों पर अपने शेयरों को बेच कर मुनाफा कमा लेना चाहिए या फिर मार्केट में बने रहना चाहिए?


ऊंचाई के बाद गिरावट के दौर में क्या हो निवेश स्ट्रेटजी 


मार्केट की ऊंचाई छूने के मामले में आम धारणा यह है कि सर्वोच्च स्तर के बाद इसमें गिरावट आती है. लेकिन यह देखना जरूरी है कि चढ़ते हुए मार्केट में तीन से पांच साल के रिटर्न की क्या स्थिति है. ज्यादातर निवेशकों का लक्ष्य निवेश तीन से पांच साल का होता है. इसलिए यह देखना चाहिए कि क्या इसमें रिटर्न की क्या स्थिति है. ऊंचाई बाद गिरावट की स्थिति में पोर्टफोलियो री-एलोकेशन की सलाह दी जाती है.


एसेट एलोकेशन को एडजस्ट करें 


निवेश की शुरुआत करते वक्‍त आपने जो ओरिजिनल एसेट एलोकेशन तय किया था उसे बैलेंस करने की जरूरत पड़ती है. अगर पोर्टफोलियो में इक्विटी एलोकेशन पांच फीसदी से ज्‍यादा बढ़ा है तो शेयरों में निवेश कम करके तुरंत पुराने एसेट एलोकेशन पर लाएं. इक्विटी पोर्टफोलियो में सिक्योरिटी लेयर बनाने की जरूरत होती है. आप सीधे शेयरों की तुलना में म्यूचुअल फंड में एसेट एलोकेशन बढ़ा सकते हैं. याद रखें, शेयर बाजार में निवेश की रणनीति स्थिर नहीं रख सकती है. कम पर खरीदारी और ज्यादा पर बेचने की स्ट्रेटजी हमेशा सफल नहीं होती.लिहाजा वक्त के साथ निवेश स्ट्रेटजी में बदलाव जरूरी है.


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