वैश्विक बाजारों में आई तेजी का अनुसरण करते हुये घरेलू बाजारों में भी मंगलवार को कारोबार की शुरुआत तेजी के साथ हुई. बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स कारोबार के शुरुआती दौर में 350 अंक तक ऊंचा रहा. दवा कंपनी फाइजर की कोविड-19 की दवा के मामले में अच्छी प्रगति होने की रिपोर्ट आने पर कारोबारी धारणा में सुधार आया है. इसके साथ ही बाजार में विदेशी मुद्रा प्रवाह भी बना हुआ है.


मंगलवार को कारोबार की शुरुआत में 42,959.25 अंक के शीर्ष स्तर को छूने के बाद बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 216.15 अंक यानी 0.51 प्रतिशत बढ़कर 42,813.58 अंक पर पहुंच गया. इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी सूचकांक भी कारोबार के शुरुआती दौर में 51.65 अंक यानी 0.41 प्रतिशत बढ़कर 12,512.70 अंक पर पहुंच गया. इससे पहले निफ्टी ने भी 12,557.05 अंक के उच्च स्तर को छुआ.


सेंसेक्स में शामिल शेयरों में आईसीआईसीआई बैंक सबसे अधिक लाभ वाला शेयर रहा. इसमें करीब तीन प्रतिशत की बढ़त रही. इसके बाद ओएनजीसी, एचडीएफसी, लार्सन एण्ड टुब्रो, स्टेट बैंक, एचउीएफसी बैंक, इंडस इंड बैंक और बजाज फाइनेंस में भी लाभ रहा. वहीं दूसरी तरफ टेक महिन्द्रा, इन्फोसिस, एचसीएल टेक, टीसीएस, नेस्ले इंडिया और मारुति के शेयर मूल्यों में गिरावट रही. इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का बेंचमार्क ब्रेंट कच्चा तेल 1.23 प्रतिशत घटकर 41.88 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गया.


इससे पहले सोमवार को सेंसेक्स 724.02 अंक या 1.78 प्रतिशत की बढ़त के साथ 41,340.16 अंक पर बंद हुआ. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 211.80 अंक या 1.78 प्रतिशत के लाभ के साथ 12,120.30 अंक पर बंद हुआ. सेंसेक्स के सभी शेयर लाभ में रहे.


जो बाइडेन की जीत का असर


अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में जाने के संकेतों के बीच वैश्विक बाजारों में तेजी आई. इसी तर्ज पर घरेलू बाजार भी करीब आठ माह के उच्चस्तर पर पहुंच गए हैं. निवेशक उम्मीद कर रहे कि फेडरल रिजर्व की मौजूदा नीतिगत बैठक के दौरान कुछ नए उपायों की घोषणा हो सकती है और अमेरिकी केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर रहने और विदेशी बाजारों से प्रवाह बढ़ने से बाजार का भरोसा आगे कायम रहेगा.


निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने पर चीन के साथ व्यापार को लेकर विवाद कुछ कम हो सकेगा. विश्लेषकों का मानना है कि रिपब्लिकन के बहुमत वाली सीनेट ऊंचे करों और कड़े नियमनों जैसे उपायों को रोकेगी.


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