रिजर्व बैंक (RBI) ने बीते सप्ताह एक बड़ा फैसला लेकर फिर से नोटबंदी (Demonetisation) की यादें ताजा करा दी. सेंट्रल बैंक ने शुक्रवार को बताया कि 2 हजार रुपये के नोट को सर्कुलेशन (Rs 2000 Withdrawal) से बाहर किया जा रहा है. इस फैसले पर समाज के तमाम धड़ों से विभिन्न प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं. कई लोगों का कहना है कि यह फैसला अर्थव्यवस्था को बूस्ट करेगा, जबकि कई लोग इसे नोटबंदी की तरह घातक बता रहे हैं. इस बीच बाजार में दिलचस्पी रखने वालों के मन में सवाल उठ रहा है कि यह फैसला आने वाले दिनों में बाजार को किस तरह से प्रभावित कर सकता है.
सेंट्रल बैंक ने बताई ये बात
सबसे पहले रिजर्व बैंक के ताजा फैसले की कुछ बात. रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने का ऐलान करते हुए बताया कि इन्हें 23 मई से बैंकों में बदलवाया जा सकता है. सेंट्रल बैंक के अनुसार, 31 मार्च 2018 को 2000 रुपये के नोटों का सर्कुलेशन 6.73 लाख करोड़ रुपये के बराबर था, जो कम होकर 31 मार्च 2023 को 3.62 लाख करोड़ रुपये पर आ चुके हैं. ये नोट सर्कुलेशन के सभी नोटों का महज 10.8 फीसदी हिस्सा हैं.
बाजार में नहीं हो रहा स्वीकार
रिजर्व बैंक का कहना है कि ये नोट तत्काल प्रभाव से बंद नहीं किए गए हैं. लोग लेन-देन में अभी भी इन नोटों का इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि रिजर्व बैंक ने लोगों को सलाह दिया है कि वे 30 सितंबर 2023 तक 2000 रुपये के नोटों को बैंक जाकर बदलवा लें. एक व्यक्ति एक बार में 2000 रुपये के 10 नोट यानी 20 हजार रुपये तक की अदला-बदली करा सकता है. हालांकि रिजर्व बैंक के इस ऐलान के बाद से लोग शिकायत कर रहे हैं कि बाजार में अभी से ही 2000 रुपये के नोटों को लेने से मना किया जाने लगा है.
नहीं होगा कोई बड़ा असर
रही बात शेयर बाजार पर इस फैसले के असर की तो बाजार के जानकारों का कहना है कि इस फैसले का शायद ही कोई बड़ा असर हो. बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि 2016 में नोटबंदी का जैसा असर देखने को मिला था, इस बार वैसा नहीं होने वाला है. आम लोगों के पास पहले से ही 2000 रुपये वाले नोट बहुत कम थे. दूसरी ओर पूरे देश में बड़े पैमाने पर यूपीआई का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में लोगों के उपभोग पर कोई असर नहीं होने वाला है, जैसा कि नोटबंदी के बाद जरूरी चीजों की बिक्री में भी अचानक भयानक गिरावट के रूप में देखने को मिला था.
ये शेयर कर सकते हैं परफॉर्म
इक्रा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग्स कार्तिक श्रीनिवासन कहते हैं, जैसा नोटबंदी के समय देखने को मिला था, हम उम्मीद करते हैं कि इससे बैंकों के पास डिपॉजिट बढ़ेगा. इससे निकट भविष्य में बैंकों के डिपॉजिट में सुधार आ सकता है. यह डिपॉजिट रेट हाइक का प्रेशर कम करेगा और हो सकता है कि आने वाले दिनों में कम अवधि वाले ब्याज दर नरम किए जाएं. अगर यह अनुमान सही साबित होता है तो बैंकिंग शेयर आने वाले दिनों में अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं.
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