Sick Leave: बीमारी का झूठा बहाना बनाकर लेते हैं छुट्टी, हो जाएं सावधान! कंपनियां कर रही रही डिटेक्टिव एजेंसियां हायर
Employees Sick Leave: सिक लीव लेकर छुट्टी पर जा रहे स्टाफ के पीछे कंपनियां प्राइवेट जासूस लगा दे रही हैं. जो जांच कर हकीकत का पता लगाने का काम कर रही हैं.
Employees under Private Detectives Scanner: लंबी छुट्टी लेने के लिए बीमारी का बहाना बनाकर सिक लीव (Sick Leave) लेना कंपनियों में आम हो गया है. इससे परेशान कंपनियों के मैनेजर्स ने इसकी तोड़ निकाली है. सिक लीव लेकर छुट्टी पर जा रहे स्टाफ के खिलाफ कंपनियां प्राइवेट जासूस लगा दे रही हैं. जो यह जांच कर बताते हैं कि सिक लीव लेने वाले स्टाफ वाकई में बीमार है या वे बहाना बना रहे हैं. ये प्राइवेट जासूस जरूरत पड़ने पर हॉस्पिटल, डॉक्टर और यहां तक कि स्टाफ से पूछताछ कर भी क्रॉस एग्जामिनेशन कर सच्चाई की तह तक जाते हैं.
जर्मन कंपनियां धड़ल्ले से करा रही सिक लीव की जासूसी
जर्मनी में कंपनियां सिक लीव लेने वाले स्टाफ की जासूसी कराने के लिए धड़ल्ले से प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों की सेवा ले रही है. इसे लेकर सोशल मीडिया में नैतिकता को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई है. जर्मन कंपनियों का तर्क है कि झूठ बोलकर गैर जरूरी सिक लीव लेने से कंपनियों की प्रॉडक्टिविटी घटती है. इसका देश की इकोनॉमी पर भी असर पड़ता है. इन आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए जर्मन कंपनियां प्राइवेट डिटेक्टिव की सेवा लेकर अनप्रॉडक्टिव स्टाफ की पहचान करती हैं. हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी के फ्रैंकपुर्ट स्थित प्राइवेट जासूसी फर्म लेंट्ज ग्रुप के फाउंडर मार्कुस लेंट्ज ने बताया कि कंपनियों के स्टाफ की जासूसी के 1200 केस वे फिलहाल हैंडल कर रहे हैं. कुछ सालों में ऐसे केस आने दोगुने हो गए हैं.
जासूस बता रहे अजब-गजब कारण
सिक लीव की जांच करने वाले प्राइवेट जासूस जांच के बाद अजब-गजब कारण सामने ला रहे हैं. जैसे किसी स्टाफ ने घर रिनोवेट कराने या फेमिली बिजनेस के किसी काम के लिए सिक लीव ले रखी है. हालांकि सिक लीव लेने के कारण हमेशा गलत ही नहीं होते हैं. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सिक लीव बढ़ने के कारणों की पड़ताल जरूरी है. खासकर मेंटल हेल्थ के पहलुओं की जरूर जांच करनी चाहिए. यह जासूसी कराने से ज्यादा बेहतर है.
ये भी पढ़ें :
Retailers Strategy: क्विक कॉमर्स कंपनियों को ऐसे हराएंगे रिटेलर्स, जानिए क्या है स्ट्रेटजी