नई दिल्लीः चटनी, अचार, मुरब्बा, इंसुलिन और अगरबत्ती समेत 66 सामानों पर जीएसटी की दरें घटा दी गयी हैं. इसके अलावा छोटे रेस्त्रां के साथ मझौले और छोटे किस्म के कारोबारियों को भी राहत दी गयी है. जीएसटी यानी पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली व्यवस्था वस्तु व सेवा कर पहली जुलाई से लागू होगी.


उद्योग और व्यापार संगठनों की मांग पर जीएसटी काउंसिल की बैठक वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई. बैठक में विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया. जेटली ने जानकारी दी कि 166 सामान और सेवाओं पर जीएसटी की दर में फेरबदल के लिए ज्ञापन मिले थे. इसमे से 66 सामान और सेवाओं को लेकर रविवार की बैठक मे चर्चा हुई और सहमति के आधार पर दरों में फेरबदल का फैसला किया गया. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 18 जून को बुलायी गयी है जिसमें बाकी सामान की दरों पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है.


सिनेमा का टिकट
बैठक में तय हुआ कि 100 रुपये से ज्यादा कीमत वाले सिनेमा की टिकट पर जीएसटी की दर 28 फीसदी पर बरकरार रहेगी, लेकिन 100 रुपये से कम की टिकट पर ये दर 18 फीसदी होगी. पहले सभी के लिए 28 फीसदी की दर रखी गयी थी जिसपर सिनेमा उद्योग ने ज्ञापन दिया. सिनेमा उदयोग का कहना था कि इस तरह की कर व्यवस्था से क्षेत्रीय सिनेमा को नुकसान होगा. अभी अलग-अलग राज्य अपने यहां की भाषायी सिनेमा को रियायतें देते हैं, लेकिन जीएसटी लागू होने पर ये खत्म हो जाएगा. हालांकि राज्य सरकार चाहें तो वो सब्सिडी दे सकती हैं, लेकिन ये बहुत फायदेमंद नहीं रहेगा. इसी के मद्देनजर, बकौल जेटली, सिनेमा टिकट के लिए दो दरें रखी गयी है.


हायब्रिड कार
बहरहाल, रविवार की बैठक से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को निराशा हाथ लगी, क्योंकि हाइब्रिड कार को लेकर उनकी मांगों पर फैसला नहीं हुआ. अभी इलेक्ट्रिकल कार पर जीएसटी की दर 12 फीसदी रखी गयी है, जबकि हाइब्रिड समेत बाकी कारों पर 28, 31 और 43 फीसदी की दरें रखी गयी है. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री चाहती है कि हाइब्रिड यानी पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ बिजली से चलने वाली कर पर दरें कम की जाए. इंडस्ट्री ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन भी सौंपा है. इस बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि काउंसिल के तमाम सदस्यों के बीच एक पेपर बांटा गया है जिसमें कर को लेकर उठ रहे सवालों को जवाब दिया गया है. जेटली के मुताबिक, हाइब्रिड कारों को लेकर जो चिंता जतायी जा रही है, वो फिलहाल गलत साबित हुई है. अब उम्मीद की जा रही है कि अगली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.


कंपोजिट स्कीम
बैठक में कंपोजिट स्कीम की सीमा भी बढ़ाने का फैसला किया गया. कंपोजिट स्कीम का मतलब ये है कि एक तय सीमा के भीतर कारोबार करने वालों को जीएसटी की दरों के बजाए निचली दरें चुकानी होगी. पहले तय हुआ था कि ट्रेडर्स, मझौले व छोटे उद्यमी और रेस्त्रां चलाने वालों का यदि सालाना कारोबार 50 लाख रुपये तक है तो वो कंपोजिट स्कीम में शामिल हो सकते हैं और उन्हे 1 से 5 फीसदी की दर से जीएसटी चुकाना होगा. अब ये तय हुआ है कि इस स्कीम में 75 लाख रुपये तक सालाना कारोबार करने वाले शामिल हो सकेंगे.