कई बार लोग निवेश करने से पहले इस सोच में पड़ जाते हैं कि अपने पैसे को निवेश कहां करें. दरअसल, बाजार में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं. ऐसे में लोग समझ नहीं पाते कि उनके लिए क्या बेहतर है. अगर आप भी इसी तरह की सोच में अटके हैं और SIP (सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) या FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) के बीच किसी एक को चुन नहीं पा रहे हैं तो खबर आपके लिए ही है. इस खबर में हम SIP और FD के बीच तुलना करेंगे, ताकि आप अपने पैसे का निवेश करते समय बेहतर निर्णय ले सकें.


पहले एसआईपी को समझिए


SIP एक ऐसी निवेश योजना है, जिसमें आप म्यूचुअल फंड में नियमित रूप से एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं. यह एक अनुशासित तरीका है, जिसमें आप हर महीने एक तय राशि निवेश करते हैं. SIP में नियमित निवेश करने से आपको अच्छा रिटर्न मिलता है. खासतौर से जब आप इसमें लॉन्ग टर्म निवेश करते हैं. इसके अलावा आप SIP छोटे निवेश से भी शुरू कर सकते हैं. यानी केवल 500 रुपये से भी आप SIP शुरू कर सकते हैं. ये तो हो गए एसआईपी के फायदे अब इसके नुकसान के बारे में जान लीजिए.


SIP के नुकसान


दरअसल, SIP का प्रदर्शन पूरी तरह से शेयर बाजार पर निर्भर करता है. अगर बाजार में गिरावट होती है, तो आपके निवेश का मूल्य कम हो सकता है. खासतौर से अगर आप शॉर्ट टर्म में अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो एसआईपी से आपको बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा.


अब एफडी के बारे में समझिए


FD यानी फिक्स डिपोजिट एक पारंपरिक और सुरक्षित निवेश विकल्प है. इसमें आप एक निश्चित राशि बैंक में जमा करते हैं और उस पर एक निश्चित ब्याज दर आपको मिलता है. FD का निवेश जोखिम मुक्त होता है और इसमें आपका पैसा सुरक्षित रहता है. यानी एसआईपी की तरह इसमें बाजार के उतार-चढ़ाव का कोई असर नहीं पड़ता. सबसे बड़ी बात कि FD में ब्याज दर पहले से निर्धारित होती है और यह पूरे अवधि के दौरान स्थिर रहती हैं. यानी आपके रिटर्न में कोई बदलाव नहीं होता और वह हमेशा मिलता रहता है. इसके अलावा आप FD की समय सीमा अपने आप से तय कर सकते हैं. यानी अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं. ये समय सीमा कुछ महीनों से लेकर कुछ वर्षों तक की हो सकती है. सबसे बड़ी बात कि इसमें बैंक का भरोसा होता है.


अब FD के नुकसान समझिए


FD का सबसे बड़ा नुकसान, इस पर मिलने वाला रिटर्न है. दरअसल, ये सीमित होता है. शेयर बाजार या अन्य निवेश योजनाओं की तुलना में FD का रिटर्न बहुत कम होता है. इसे ऐसे समझिए कि FD में कंपाउंडिंग का लाभ सीमित होता है, खासकर जब आप ब्याज को मासिक या वार्षिक रूप से निकालते हैं. इसकी वजह से  आपका कुल रिटर्न सीमित हो सकता है. इसके अलावा FD में निवेश की राशि को तय अवधि के पहले निकालने पर जुर्माना देना पड़ सकता है. जबकि, एसआईपी के साथ ऐसा कुछ नहीं है.


निवेश के दोनों विकल्पों को समझने के बाद अब ये आपका फैसला है कि आपको कहां निवेश करना चाहिए. हालांकि, हमारी सलाह यही है कि कहीं भी निवेश से पहले किसी अच्छे और जानकार फाइनेंशियल एडवाइजर से इस पर सलाह जरूर ले लें.


ये भी पढ़ें: म्यूचुअल फंड में निवेश से कैसे कमा सकते हैं तगड़ा प्रॉफिट, इनवेस्ट करने का पूरा प्रोसेस क्या है?