नई दिल्ली: गैर बीजेपी शासित 6 राज्यों के वित्तमंत्रियों ने बुधवार को जीएसटी कंपनसेशन मिलने में हो रही देरी को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. इस दौरान राज्यों के वित्तमंत्रियों ने निर्मला सीतारमण से जीएसटी कंपनसेशन अविलंब जारी करने की मांग की. मुलाकात के बाद इन राज्यों के वित्तमंत्रियों ने कहा कि कंपनसेशन सेस का पैसा रिलीज़ करने को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने उन्हें कोई वादा नहीं किया और ना ही पैसे मिलने में हो रही देरी की वजह को लेकर कोई जानकारी दी.


कौन-कौन से राज्य के वित्त मंत्री थे, किसने क्या कहा


निर्मला सीतारमण से मुलाकात करने वालों में दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री शामिल थे. वित्त मंत्री से मुलाकात के बाद पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि पहले दो महीने का जीएसटी कंपनसेशन बकाया था लेकिन अब पूरे तीन महीने का बकाया हो गया है, जिसके चलते पंजाब जैसे राज्य पर काफी आर्थिक दबाव है. मनप्रीत बादल ने कहा कि हमें अच्छा नहीं लगता कि हम बार-बार यहां पैसे मांगने आना पड़े.


राज्यों के पास नहीं है रोज़मर्रा के ख़र्च का पैसा


दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ''हमने अपने सारे टैक्स के अधिकार केंद्र को सौंप दिए हैं, लेकिन हमारा पैसा रोक दिया गया है. ऐसा नहीं है कि केंद्र के पास पैसा नहीं है. करीब 50 हज़ार करोड़ रुपए कंपनसेशन फंड के मद में पड़ा हुआ है लेकिन उसे जारी नहीं किया जा रहा जिसके चलते राज्य के पास स्कूलों, अस्पतालों और बिजली के बिल के भुगतान करने के लिए पैसे नहीं है. राजस्थान के शिक्षा मंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने कहा, ''केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य सरकार कटोरा ले कर घूमे. वहीं, पंजाब के वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य की जेलों में क़ैदियों के लिए राशन का स्टॉक भी सिर्फ़ दो-दो दिन का मंगाया जा रहा है, ‘क्या क़ैदियों को रिहा कर दें ?’


किसका कितना बकाया


जीएसटी कंपनसेशन के मद में दिल्ली के तीन महीने का 3600 करोड़ रुपये, राजस्थान के चार महीने का करीब 4,000 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश के चार महीने का 3,000 करोड़ रुपया बकाया है. इसी तरह पंजाब को क़रीब सवा चार हज़ार करोड़ रूपया बकाया केंद्र सरकार से नहीं मिला है. सभी राज्यों को मिलाकर कुल क़रीब तीस हज़ार करोड़ रुपये केंद्र सरकार को इन राज्यों को देना है.


क्या तय हुआ था केंद्र और राज्यों के बीच


जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों के बीच ये तय हुआ था कि जिन राज्यों को जीएसटी से ‘पहले की अपेक्षा’ कुल टैक्स कलेक्शन रेवेन्यू में नुक़सान होगा उन्हें केंद्र सरकार हर महीने कंपनशेशन देगी. लेकिन बाद में ये दो महीने पर मिलने लगा और इस बार इन राज्यों को क़रीब तीन महीने से ये भुगतान नहीं हुआ है.


किससे वसूला जाता है कंपनशेशन सेस


जिन उत्पादों पर 28% जीएसटी लागू होती है और जो उत्पाद लग्ज़री आइटम में गिने जाते हैं उनसे जीएसटी के अलावा अलग से कंपनशेशन सेस भी वसूला जाता है. ये कंपनशेशन सेस एक अलग एकाउंट में रखा जाता है जिससे केंद्र सरकार राज्यों को उनका जीएसटी कंपनसेशन देती है. पिछले तीन महीने से ये कंपनशेशन सेस उम्मीद से काफ़ी कम कलेक्ट हुआ है. जिसके कारण राज्यों को उनका जीएसटी कंपनशेशन नहीं मिल पा रहा.


जीएसटी काउंसिल ने लिखा है पत्र


जीएसटी कलेक्शन में से रही गिरावट से परेशान केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के जीएसटी कमिश्नरों को पत्र लिखकर जीएसटी रेवेन्यु बढ़ाने को लेकर राज्यों से सुझाव मांगे हैं. जीएसटी काउंसिल ने राज्यों के स्टेट जीएसटी कमिश्नरों को लिखे एक पत्र में कहा है कि पिछले कुछ महीनों में जीएसटी और कंपनशेशन सेस कलेक्शन गिरा है. जीएसटी रेवेन्यू पोजिशन को विस्तार से डिस्कस किया जाएगा. राज्यों के कंपनशेशन का पैसा बढ़ा है लेकिन उसे चुकाने के लिए कंपनसेशन सेस कलेक्ट नहीं हो सका है इसलिए उसे चुकाया नहीं जा पा रहा. जीएसटी रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्यों के अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई है जो इस संदर्भ में अपने सुझाव देंगे. इसके अलावा एक ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर भी इस पर विचार करेगा.


6 दिसम्बर तक राज्यों को देना है सुझाव


पत्र के दूसरे हिस्से में, काउंसिल ने राज्यों से जीएसटी रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए सुझाव, इनपुट और प्रस्ताव मांगे हैं


1. जीएसटी से बाहर छूट गए सामानों पर रिव्यू


2. विभिन्न सामानों पर जीएसटी और कंपनशेशन सेस के रेट पर टैक्स लगाने के मापदंड क्या हों


3. कर वसूल करने का तरीक़े क्या हो,


4. सुझाव के साथ विश्लेषण भी मांगे गे हैं ताकि जल्द से जल्द इन उपायों को अपनाया जा सके.


18 दिसम्बर को हो सकती है जीएसटी काउंसिल की बैठक


जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में जीएसटी दरों की समीक्षा की जाएगी. इसके तहत जीएसटी के दायरे से बाहर फिलहाल जो उत्पाद हैं उनको जीएसटी के दायरे में लाने पर फैसला लिया जा सकता है.


विपक्ष ने कहा- बेवक़ूफ़ बना रही है केंद्र सरकार


राज्यों को जीएसटी कंपनशेशन न मिलने पर लोकसभा सांसद असद्दुदीन ओवैसी ने कहा कि राज्यों को जीएसटी में उनका हिस्सा मिलना यह राज्यों का संवैधानिक हक़ है. सरकार क्यों बेवक़ूफ़ बना रही है. राज्यों से जीएसटी बढ़ाने के उपाये पूछे जा रहे हैं. ये क्या मज़ाक़ है. बना दीजिए फिर किसी मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री. आप केंद्र में सरकार चला रहे हैं आपको उपाय नहीं मालूम.


सरकार के बचाव में आई बीजेपी


सरकार का बचाव करते हुए बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भले ही अभी केंद्र को मुश्किलें आ रही हो क्योंकि जीएसटी अभी नया है कुछ साल मुश्किल आएगी लेकिन फिर सब ठीक हो जाएगा. जीएसटी देश हित में है.


वित्त राज्य मंत्री कहा पांच ट्रिलियन इकोनोमी है लक्ष्य


जीएसटी काउंसिल की मीटिंग इस महीने में है. इसमें हर राज्य के वित्त मंत्री आते हैं. सारे निर्णय सहमति से होते हैं. जिस राज्य का जो हक है उसको अपना पूरा हक मिलेगा. 2012-13 में जीडीपी 4.3% रह गया था. हमने उससे बढ़ा कर पिछले पांच सालों में औसतन 7.5% तक पहुंचाया है. हम 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल करेंगे.


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