(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Demonetisation: नोटबंदी के छह साल बाद लोगों के पास कैश बढ़कर रिकॉर्ड लेवल पर, जानकर चौंक जाएंगे
Demonetisation: नोटबंदी के छह साल बाद देश में लोगों के पास कितना कैश है और ये बढ़कर किस रिकॉर्ड लेवल पर आ गया है, आप जानकर चौंक जाएंगे. रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक ये पता चला है.
Demonetisation: कल 8 नवंबर को देश में नोटबंदी के छह साल पूरे हो जाएंगे और आज भी इस बात को लेकर चर्चा होती है कि नोटबंदी सफल थी या नहीं. कई वित्तीय जानकारों का कहना है कि नोटबंदी काले धन को कम करने के अपने उद्देश्य में सफल रही जबकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि ये पूरी तरह फेल हो गई थी. अब एक ऐसा आंकड़ा आया है जो दिखाता है कि देश में कैश का उपयोग अभी भी भरपूर हो रहा है और आरबीआई के इस डेटा के बाद नोटबंदी को लेकर एक बार फिर चर्चा गरम हो सकती है, ऐसा सभंव है.
देश में जनता के पास कितना है कैश
21 अक्टूबर 2022 तक जनता के बीच मौजूद नकदी 30.88 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई जो यह दिखाता है कि नोटबंदी के छह साल बाद भी देश में नकदी का भरपूर उपयोग जारी है. यह आंकड़ा चार नवंबर, 2016 को खत्म पखवाड़े में चलन में मौजूद मुद्रा के स्तर से 71.84 फीसदी ज्यादा है.
30.88 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर है कैश
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से पखवाड़े के आधार पर जारी धन आपूर्ति आंकड़ों के अनुसार, इस साल 21 अक्टूबर तक जनता के बीच चलन में मौजूद मुद्रा का स्तर बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह आंकड़ा चार नवंबर, 2016 को खत्म पखवाड़े में 17.7 लाख करोड़ रुपये था.
8 नवंबर 2016 को हुई थी नोटबंदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार और काले धन की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. इस कदम का उद्देश्य भारत को 'कम नकदी' वाली अर्थव्यवस्था बनाना था. इस कदम को खराब योजना और निष्पादन बताते हुए कई विशेषज्ञों ने इसकी आलोचना की थी.
डिजिटल ऑपेशन के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में कैश का उपयोग बढ़ रहा
जनता के पास करेंसी से तात्पर्य उन नोटों और सिक्कों से है जिनका उपयोग लोग लेन-देन, व्यापार और सामान और सेवाओं को खरीदने के लिए किया जाता है. चलन में मौजूद कुल मुद्रा में से बैंकों के पास पड़ी नकदी को घटा देने पर पता चलता है कि चलन में कितनी मुद्रा लोगों के बीच है. गौरतलब है कि भुगतान के नए और सुविधाजनक डिजिटल विकल्प के लोकप्रिय होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है. इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि देश में निम्न मध्यम वर्ग औ निम्न वर्ग के पास डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं और कैश में लेनदेन करना ज्यादा सुविधाजनक मानते हैं.
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