सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को रफ्तार देने के लिए अपने प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव ( PLI) स्कीम के तहत दस मोबाइल कंपनियों को प्रोडक्शन की मंजूरी दे दी है. इससे देश में बड़े पैमाने पर मोबाइल फोन की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ छह और आवेदक कंपनियों को इस स्कीम के तहत मैन्यूफैक्चरिंग की अनुमति दी गई है.


चार से छह फीसदी तक दिया जाएगा इन्सेंटिव 


पीएलआई यानी प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम के तहत भारत में निर्मित चीजों की बढ़ी बिक्री पर चार से छह फीसदी का इन्सेंटिव दिया जाएगा. यह स्कीम वित्त वर्ष 2019-20 के बेस ईयर से लागू होगी और पांच साल तक चलेगी. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी और कम्यूनिकेशन मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ग्लोबल और घरेलू कंपनियों दोनों की ओर से दिए गए आवेदनों के मामले में पीएलआई स्कीम काफी सफल रही है. इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों के लिए यह स्कीम काफी सफल साबित हुई है. जो इंटरनेशनल मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को पीएलआई स्कीम के तहत मंजूरी दी गई है उनमें सैमसंग, फॉक्सकॉन, होन हाई, राइजिंग स्टार, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन शामिल हैं. इनमें से तीन- फॉक्सकॉन होन हाई, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन एपल आईफोन के कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर हैं.



कई घरेलू कंपनियों को मंजूरी 


जिन घरेलू कंपनियों को पीएलआई स्कीम के तहत मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग की इजाजत दी गई है उनमें लावा, भगवती प्रोडक्ट्स पैडजेट इलेक्ट्रॉनिक्स, यूटीएल नियोलिंक्स और ओप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं. पीएलआई स्कीम पांच साल के लिए खुली है और इसके तहत पहले साल मोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स को 5334 करोड़ रुपये इन्सेंटिव दिए जाएंगे. यह राशि सभी कंपनियों में बांटी जाएगी.


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