महंगे पेट्रोल-डीजल के बावजूद कारों की बुकिंग और रिटेल बिक्री में कमी नहीं आई है. इकोनॉमी में थोड़ी मजबूती, बिजनेस के सकारात्मक माहौल और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर सरकार की से कंट्रोल की संभावनाओं के मद्देनजर गाड़ियों की बिक्री में मजबूती दिख रही है. पैसेंजर गाड़ियों की मांग ज्यादा कमी नहीं आई है लेकिन टू-व्हीलर्स की बिक्री जरूर घटी है. दरअसल टू-व्हीलर्स के खरीदार पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर ज्यादा चिंतित हैं इसलिए इन गाड़ियों की बिक्री में कमी आई है.


शॉर्ट नहीं लॉन्ग टर्म में घट सकती है गाड़ियों की बिक्री 


फिलहाल भले ही गाड़ियों की मांग में कमी नहीं दिख रही है लेकिन कुछ राज्यों में कोरोना की नई लहर के बाद लॉकडाउन आशंका बढ़ने. गाड़ियों के कल-पुर्जों के दाम बढ़ने और ईंधन के बढ़ती कीमतें कंज्यूमर को गाड़ियां खरीदने से रोक सकती हैं. अभी बुकिंग हो रही है और गाड़ियों की बिक्री भी हो रही है लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि यह पेंडिंग डिमांड की वजह से हो रहा है. अभी पेंडिंग डिमांड की वजह से गाड़ियों की बिक्री में तो रफ्तार दिखेगी लेकिन आगे मांग में कमी आने की आशंका है.


पेट्रोल-डीजल की कीमतें सबसे बड़ी रुकावट 


दरअसल सबसे बड़ी चिंता पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर है. इससे कंज्यूमर की प्रति लीटर गाड़ी चलाने की लागत बढ़ रही है. इसलिए पेट्रोल की कीमतों में अगर कमी नहीं आती है तो गाड़ियों की बिक्री कम होना तय है. 2021 में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 24 बार बढ़ चुकी हैं. 2021 में पेट्रोल 6.87 रुपये और डीजल 7.10 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुका है. अभी अंतरराष्ट्रीय कीमतों में और तेजी आएगी इसलिए पेट्रोल-डीजलों की कीमतों में और बढ़ोतरी होगी. हालांकि कुछ वाहन कंपनियों के प्रतिनिधियों के कहना है कि शॉर्ट टर्म में गाड़ियों की बिक्री कम नहीं होगी क्योंकि अभी लंबी वेटिंग पीरियड चल रहा है.


डिमांड में कमी और लागत बढ़ने से घटेगा कंपनियों का मुनाफा, महंगे कच्चे माल ने भी बढ़ाई चिंता


क्या है लिक्विड फंड, जानें मौजूदा दौर में निवेश फायदेमंद है या नहीं